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CG News: सरकार बस्तर में अडानी के लिए बिछा रही रेड कार्पेट, विरोध जताने कांग्रेस निकालेगी पदयात्रा बिना कोई खाने-पीने का सामान लेकर भगवान की भक्ति करते हुए केवल कपड़े व पानी लेकर ही 500 किलोमीटर की यात्रा के लिए निकले हैं। प्रत्येक दिवस उनका लक्ष्य 50 किलोमीटर दूरी तय करना रहता है। यात्रा के दौरान मार्ग पर पड़ने वाले सभी मंदिरों का भी दर्शन करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। 6 दिन में लगभग 300 किलोमीटर दूरी तय कर वे अंगुल पहुंचेंगे। आचार्य पदम लोचन त्रिपाठी ने बताया कि उनके मन में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने की जिज्ञासा जागृति हुई। जिसे लेकर भगवान जगन्नाथ प्रभु का दर्शन करने और लोगों में भगवान के प्रति आस्था, विश्वास जगाने व हिंदू धर्म का प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य को लेकर वे 3 जून से अपने निवास स्थान व मंदिर से पूजा-अर्चना कर पैदल जगन्नाथ पुरी 500 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकल गए हैं।
भगवान की कृपा से उन्हें अभी तक कहीं पर भी होटल में खाने की नौबत नहीं आई है। प्रत्येक दिवस कहीं ना कहीं उनका दोपहर और रात के भोजन की व्यवस्था भगवान के भक्त कर देते हैं। कई स्थानों पर तो उनके स्वागत की तैयारी के लिए भी लोग उनका इंतजार कर रहे थे। प्रत्येक दिवस सुबह 2.30 बजे से 10 बजे तक पैदल यात्रा करते हैं। दोपहर 10 से 4 तक विश्राम करते हैं। शाम को 4 बजे से रात 9 बजे तक पुन: पदयात्रा कर रहे हैं। उनका लक्ष्य लगभग नौवें दिन में 11 जून को जगन्नाथ पुरी 500 किलोमीटर दूरी पदयात्रा तय करने का है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने जगन्नाथ पुरी भगवान का दर्शन करने 25 से 30 बार जा चुके हैं, लेकिन उनका यह पहला अनुभव है कि वह पैदल लोगों से मिलते-जुलते, भजन-कीर्तन करते सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करते, लोगों में भक्ति भावना जागृत करते हुए भगवान के प्रति आस्था जगाते हुए यात्रा कर रहे हैं। सर्वप्रथम 3 जून को उनकी पदयात्रा के प्रथम दिवस प्रथम चरण में वे सिंघोड़ा मंदिर में मां रूद्रेश्वरी का दर्शन किए, जहां प्रसाद ग्रहण कर आगे पदयात्रा के लिए बढ़े।
11 जून को करेंगे जगन्नाथ के दर्शन षष्टम दिवस 8 जून को वे नाकची से अंगुल के लिए निकले हैं। रात्रि तक अंगुल पहुंचने का उनका लक्ष्य है। 9 जून को वे ढेंकानाल के लिए निकलेंगे। उन्होंने कहा कि अंगुल से ढेंकानाल की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। उनका लक्ष्य रहेगा कि ढेंकानाल में वे रात्रि विश्राम करेंगे। और वे प्रयास करेंगे कि 11 जून को जगन्नाथ पुरी पहुंचकर भगवान जगन्नाथ का दर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि जहां उनका विश्राम करना होता है।
वहां भोजन और विश्राम की व्यवस्था भगवान की कृपा से प्रत्येक दिवस 6 दिनों से हो रही है। अभी तक कहीं पर भी ऐसी स्थिति नहीं आई है कि होटल में भोजन करने की नौबत आए। तीन नग धोती कुर्ता, कुछ ड्राई फ्रुट, पानी, माला व मोबाइल के चार्जर, पावर बैंक लेकर 500 किमी की पदयात्रा पर निकले हैं। उनकी बैग में ना तो अतिरिक्त कपड़ा है और नहीं खाने-पीने का कोई अन्य साधन।
रात्रि में घाटकछार में राधा माधव आश्रम में विश्राम किया। द्वितीय दिवस की पदयात्रा में ओडिशा के सोहेला पहुंचे। रात्रि में तुरगा में वैष्णव देवी मंदिर में विश्राम किया। तृतीय दिवस 5 जून को रेंगाली कैंप पहुंचे, जहां से गौशाला हरि ओम संबलपुर में विश्राम किया। चतुर्थ दिवस 6 जून को संबलपुर पहुंचे, जहां सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने उनका पुष्पहार से आत्मीय स्वागत किया।