UP Traffic Rules: 3 से ज़्यादा मौत वाले सड़क हादसों की होगी विशेष जांच, यूपी में सड़क सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला
UP Cracks Down on Fatal Road Accidents: उत्तर प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों पर अब सख्त नजर रखी जाएगी। तीन या उससे अधिक मौतों वाली दुर्घटनाओं की गहराई से जांच की जाएगी। यातायात निदेशालय ने इसके लिए CO स्तर के अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है और एक विशेष निगरानी सेल का गठन भी किया गया है।
फोटो सोर्स : Google: यूपी में बढ़ते सड़क हादसों पर लगेगा ब्रेक
UP Traffic Police Rules: उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर महीने राज्य के किसी न किसी जिले से ऐसी भीषण सड़क दुर्घटनाओं की खबरें सामने आ रही हैं जिनमें तीन या उससे अधिक लोगों की मौत हो जाती है। इन हादसों से न सिर्फ पीड़ित परिवारों का जीवन तहस-नहस होता है, बल्कि राज्य की यातायात व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े होते हैं। अब प्रदेश का यातायात निदेशालय इन घटनाओं के मूल कारणों को समझकर उन्हें रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाने जा रहा है।
हाल के कुछ हादसों ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है:
गाजीपुर (31 जनवरी): प्रयागराज से लौट रही श्रद्धालुओं से भरी पिकअप को ट्रक ने पीछे से टक्कर मार दी। हादसे में 8 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
प्रयागराज (15 फरवरी): तेज रफ्तार बोलेरो और ट्रक की आमने-सामने की भिड़ंत में 10 लोगों की जान चली गई।
बलरामपुर (15 मई): एक अर्टिगा कार में पीछे से ट्रक ने टक्कर मार दी, जिससे 5 लोगों की जान चली गई।
ऐसे हादसे उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में लगातार हो रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह कोई अलग-अलग घटनाएं नहीं बल्कि एक व्यवस्थित विफलता का संकेत है।
यातायात निदेशालय की सख्ती: अब होगी गहराई से जांच
उत्तर प्रदेश यातायात निदेशालय ने बड़ा फैसला लेते हुए आदेश जारी किए हैं कि तीन या उससे अधिक मौतों वाली हर सड़क दुर्घटना की जांच अब पुलिस के क्षेत्राधिकारी (सीओ) स्तर के अधिकारी करेंगे। इसका उद्देश्य सिर्फ हादसे की वजह जानना नहीं, बल्कि उसे जड़ से समझना है।
इन हादसों की जांच रिपोर्ट संबंधित क्षेत्र के सीओ द्वारा यातायात निदेशालय को सौंपी जाएगी। निदेशालय ने इसके लिए एक विशेष निगरानी सेल का गठन किया है। यह सेल जांच रिपोर्टों का गहराई से विश्लेषण करेगी और यह पता लगाएगी कि किन कारणों से बार-बार एक जैसे हादसे हो रहे हैं।
दुर्घटनाओं के पीछे के संरचनात्मक कारणों को पहचानना
वाहनों की तकनीकी विफलता और रखरखाव की स्थिति की समीक्षा करना
दुर्घटनाओं की प्रवृत्तियों को पहचानना (जैसे दिन-रात का समय, स्थान, मौसम, आदि)
दुर्घटना बहुल क्षेत्रों की पहचान और सतर्कता
विश्लेषण के आधार पर उन क्षेत्रों को चिन्हित किया जाएगा जहाँ बार-बार सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। ऐसे स्थानों को ‘दुर्घटना बहुल क्षेत्र’ (Accident-Prone Zones) घोषित कर विशेष सतर्कता बरती जाएगी। इन क्षेत्रों में निम्नलिखित उपाय किए जाएंगे:
यातायात निदेशालय द्वारा तैयार की गई रिपोर्टें परिवहन विभाग के साथ साझा की जाएंगी। इसके माध्यम से एक संयुक्त कार्ययोजना बनाई जाएगी जिसमें सड़क डिजाइन से लेकर वाहन निरीक्षण और चालक प्रशिक्षण तक की प्रक्रिया शामिल होगी। विशेष रूप से बार-बार नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन मालिकों और चालकों पर सख्त कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी। यह चेतावनी भी दी गई है कि जिन वाहनों के बार-बार चालान होते हैं, उनके फिटनेस और पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द किए जा सकते हैं।
उत्तर प्रदेश में यह पहली बार है जब किसी सड़क हादसे की जांच इतनी गहराई से की जा रही है। पहले जहां केवल प्राथमिक रिपोर्ट बनाकर मामला बंद कर दिया जाता था, अब प्रत्येक बड़ी दुर्घटना को एक केस स्टडी की तरह देखा जाएगा। इससे न केवल भविष्य की दुर्घटनाओं की रोकथाम होगी बल्कि एक दीर्घकालिक नीति भी बन सकेगी।
जनभागीदारी और जागरूकता की आवश्यकता
हालांकि सरकार और प्रशासन अपने स्तर पर जरूरी कदम उठा रहे हैं, लेकिन सड़क सुरक्षा को लेकर जनता की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण है। हेलमेट पहनना, सीट बेल्ट लगाना, तय गति सीमा का पालन करना, मोबाइल फोन का प्रयोग न करना जैसे छोटे-छोटे नियमों का पालन करके हजारों जानें बचाई जा सकती हैं।
सुरक्षा की नींव
यातायात निदेशालय की यह नई पहल उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। यदि यह योजना सही तरीके से लागू की गई, तो न केवल सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी, बल्कि राज्य में एक सकारात्मक और सुरक्षित ट्रैफिक कल्चर भी विकसित होगा। सड़कें केवल गंतव्य तक पहुंचने का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन की धड़कन हैं और इन्हें सुरक्षित रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।
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