नये खण्ड कार्यालय, नई व्यवस्था
राज्य कर विभाग के राज्यकर आयुक्त नितिन बंसल ने इस महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी साझा करते हुए बताया कि प्रदेश भर में नये खण्ड कार्यालय सृजित किए गए हैं, जिनकी भौगोलिक सीमाएं (Geographical Jurisdiction) पूर्व के खण्डों से अलग हैं।
- इन नए खण्डों के निर्धारण का उद्देश्य था
- करदाताओं की सहजता,
- कार्यभार का संतुलन,
- और प्रभावी कर प्रशासन।
- वेबसाइट पर उपलब्ध है नया क्षेत्राधिकार विवरण
नितिन बंसल ने बताया कि करदाता अपने से संबंधित नये क्षेत्राधिकार की जानकारी विभागीय वेबसाइट comtax.up.nic.in पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं। वेबसाइट पर एक विशेष लिंक के माध्यम से उन्हें यह जानकारी मिलेगी कि अब उनके व्यवसाय, प्रतिष्ठान या संस्था का नया कर खण्ड कौन-सा होगा और कौन-सा अधिकारी अब उनके कर मामलों की निगरानी करेगा। यह प्रणाली करदाताओं को स्वतः जानकारी प्राप्त करने का अवसर देती है और विभागीय कार्यालयों की अनावश्यक चक्कर से भी उन्हें मुक्ति दिलाती है।
नये खण्डों की विशेषताएं
- राज्य कर विभाग द्वारा जारी पुनर्गठित ढांचे में निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखा गया है:
- भौगोलिक नज़दीकी: करदाताओं को उनके निकटतम कार्यालय में स्थानांतरित किया गया है ताकि आवागमन आसान हो।
- कार्यभार संतुलन: किसी एक अधिकारी या खण्ड पर अत्यधिक कार्यभार न हो, इसके लिए सम-विभाजन किया गया है।
- व्यवसायिक घनत्व के अनुसार निर्धारण: जिन क्षेत्रों में व्यापारी गतिविधियाँ अधिक हैं, वहां अतिरिक्त खण्ड सृजित किए गए हैं।
- डिजिटल इंटरफेस की मजबूती: क्षेत्रीय जानकारी के साथ-साथ ऑनलाइन सेवाओं को बेहतर बनाया गया है।
हेल्पडेस्क से मिलेगा मार्गदर्शन
पुनर्गठन के चलते यह स्वाभाविक है कि करदाताओं को प्रारंभिक दौर में अपने नए खण्ड कार्यालय या अधिकारी को लेकर संशय या कठिनाई हो सकती है। इसको ध्यान में रखते हुए राज्य कर विभाग ने सभी जोनों और जनपदों में विशेष हेल्पडेस्क स्थापित करने के निर्देश जारी किए हैं। राज्यकर आयुक्त ने बताया कि सभी जोनल अपर आयुक्तों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में हेल्पडेस्क सक्रिय करें, जो करदाताओं को:
- उनके नए क्षेत्राधिकार की जानकारी दे,
- किसी भी तरह की तकनीकी या प्रशासनिक परेशानी को सुलझाए,
- और उन्हें सही मार्गदर्शन उपलब्ध कराए।
- हेल्पडेस्क का उद्देश्य है कि पुनर्गठन की प्रक्रिया सरल, पारदर्शी और व्यापारी हितैषी बनी रहे।
- करदाताओं के लिए क्यों है यह परिवर्तन महत्वपूर्ण
विगत वर्षों में जीएसटी प्रणाली के तहत ई-वे बिल, ई-इनवॉइस, वितरण प्रणाली, और रिटर्न फाइलिंग जैसे कई डिजिटल नवाचार आए हैं। इसके चलते आवश्यक हो गया था कि विभागीय संरचना भी समयानुकूल बदली जाए।
नए खण्डों से होने वाले मुख्य लाभ इस प्रकार हैं
- रफ्तार में सुधार: कर मामलों के निपटारे में तेजी आएगी।
- अधिक जवाबदेही: अधिकारियों का उत्तरदायित्व क्षेत्रीय रूप से स्पष्ट होगा।
- करदाताओं का सशक्तिकरण: जानकारी मिलने से वे अपने अधिकार और प्रक्रिया को बेहतर समझ सकेंगे।
व्यापारिक संगठनों की प्रतिक्रिया
इस कदम की जानकारी मिलते ही कई व्यापारी संगठनों और चार्टर्ड अकाउंटेंट समुदाय ने इसका स्वागत किया है। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष ने बयान जारी कर कहा कि “राज्य कर विभाग का यह कदम स्वागत योग्य है। इससे व्यापारी वर्ग को कर प्रक्रिया में स्पष्टता और पारदर्शिता मिलेगी। साथ ही, भौगोलिक आधार पर संतुलित कार्य विभाजन से अनावश्यक देरी और भ्रम खत्म होंगे।”लखनऊ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन ने भी इस परिवर्तन को “टेक्नोलॉजी और शासन के बेहतर समन्वय की दिशा में बड़ा कदम” बताया है।
टेक्नोलॉजी का कुशल उपयोग
यह ध्यान देना जरूरी है कि राज्य कर विभाग ने पुनर्गठन की जानकारी को पूर्णतः डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराकर आधुनिक शासन की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है। करदाता अपनी GSTIN या TIN नंबर के माध्यम से विभागीय पोर्टल पर जाकर यह पता कर सकते हैं कि उनका नया खण्ड कौन-सा होगा।
बदलाव की ओर बढ़ता उत्तर प्रदेश
राज्य कर विभाग द्वारा खण्ड कार्यालयों का यह पुनर्गठन केवल प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार की “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” की प्रतिबद्धता का एक और प्रमाण है। कर प्रणाली जितनी स्पष्ट और सरल होगी, व्यापारिक वातावरण उतना ही विश्वसनीय और पारदर्शी बनेगा। यह कदम न केवल प्रदेश के व्यापारिक विकास में सहायक होगा, बल्कि राज्य की राजस्व वृद्धि को भी नई गति देगा। अब देखना यह है कि विभाग इस परिवर्तन को जमीनी स्तर पर कितनी कुशलता से लागू करता है और हेल्पडेस्क प्रणाली को कितनी प्रभावी तरह से संचालित किया जाता है। यदि सब कुछ योजनानुसार हुआ, तो यह पुनर्गठन मॉडल पूरे देश के लिए उदाहरण बन सकता है।