scriptFake Cement Factory Bust: एसटीएफ की बड़ी कार्रवाई: नकली सीमेंट फैक्ट्री का भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार | UP STF Busted Fake Cement Factory in Gorakhpur; Three Arrested, Hundreds of Fake Bags Seized | Patrika News
लखनऊ

Fake Cement Factory Bust: एसटीएफ की बड़ी कार्रवाई: नकली सीमेंट फैक्ट्री का भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार

UP STF Action: एसटीएफ ने नकली सीमेंट फैक्ट्री का भंडाफोड़ करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी नामी ब्रांड के नाम पर घटिया सीमेंट की पैकिंग कर बेच रहे थे। फैक्ट्री से बड़ी मात्रा में नकली सीमेंट और उपकरण बरामद किए गए। पुलिस आगे की जांच में जुटी है।

लखनऊJun 12, 2025 / 03:06 pm

Ritesh Singh

UP STF Action फोटो सोर्स : Patrika

UP STF Action फोटो सोर्स : Patrika

 UP STF Fake Cement Factory Bust: उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गोरखपुर जनपद में बड़ी कार्रवाई करते हुए नकली सीमेंट तैयार करने वाली एक फैक्ट्री का पर्दाफाश किया है। यह कार्रवाई जिले के बेलीपार थाना क्षेत्र के चकदहा गांव में की गई, जहां छापा मारकर एसटीएफ ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और बड़ी मात्रा में नकली सीमेंट व उपकरण बरामद किए।
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गिरफ्तार किए गए आरोपियों में अभिषेक कुमार, राजकुमार यादव और शिवरक्त पुत्र रामजीत (निवासी: मछरिया, थाना सहजनवा, गोरखपुर) शामिल हैं। पूछताछ में खुलासा हुआ कि ये आरोपी पिछले तीन महीनों से मिलकर घटिया गुणवत्ता की सीमेंट को नामी ब्रांडों की पैकिंग में भरकर बाजार में बेच रहे थे। इनमें अल्ट्राटेक, डालमिया और अंबुजा जैसी नामचीन कंपनियों के नामों का दुरुपयोग किया जा रहा था।

कैसे करते थे धोखाधड़ी

आरोपियों ने नकली सीमेंट बनाने का पूरा नेटवर्क बना रखा था। वे निर्माण कार्यों में प्रयुक्त होने वाली घटिया क्वालिटी की खुली सीमेंट खरीदते और फिर उसे ब्रांडेड कंपनियों के खाली बैग में भरते थे। इसके बाद होलोग्राम और सीलिंग मशीन की मदद से पैकिंग को असली जैसा रूप दिया जाता था। पैक की गई इन बोरियों को 200 से 300 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से बाजार में सप्लाई किया जाता था।
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बरामद हुआ भारी माल

छापेमारी के दौरान एसटीएफ ने 257 बोरी नकली अल्ट्राटेक सीमेंट, 212 खाली ब्रांडेड सीमेंट बैग, 60 बोरी अन्य कंपनियों के नाम पर तैयार नकली सीमेंट, इलेक्ट्रॉनिक तोल मशीन, सीलिंग मशीन,\नकली होलोग्राम स्टिकर्स, बोरियों की पैकिंग सामग्री,मोबाइल फोन व अन्य दस्तावेज बरामद किए। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक, फैक्ट्री गांव के अंदर एक सुनसान स्थान पर छिपाकर चलाई जा रही थी। वहां की सुरक्षा व्यवस्था इतनी कड़ी नहीं थी, जिससे फैक्ट्री संचालकों को किसी प्रकार की बाधा नहीं हो रही थी।
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गिरफ्तार अभियुक्तों की स्वीकारोक्ति

एसटीएफ की पूछताछ में अभियुक्तों ने स्वीकार किया कि उन्हें असली ब्रांडेड सीमेंट की तुलना में नकली सीमेंट से अधिक मुनाफा होता था। यह नेटवर्क तेजी से फैला रहा था और इसके जरिए जिले में कई निर्माण कार्यों में नकली सीमेंट का इस्तेमाल भी हुआ हो सकता है।

कई और जिलों तक फैल सकता है नेटवर्क

एसटीएफ ने आशंका जताई है कि यह गिरोह सिर्फ गोरखपुर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार अन्य जिलों और संभवतः अन्य राज्यों तक भी फैले हो सकते हैं। इस नेटवर्क को किस-किसने सपोर्ट किया और किन विक्रेताओं तक नकली सीमेंट पहुँचाई गई, इस संबंध में विस्तृत जांच की जा रही है। पुलिस टीमें संभावित ठिकानों पर नजर रख रही हैं और जल्द ही अन्य संलिप्त लोगों की भी गिरफ्तारी हो सकती है।
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जनता को कैसे हो रहा था नुकसान

इस प्रकार की धोखाधड़ी से आम जनता को न केवल आर्थिक नुकसान हो रहा था, बल्कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही थी। नकली सीमेंट से बनाए गए मकान, पुल और अन्य संरचनाएं भविष्य में जानलेवा हादसों का कारण बन सकते हैं। यह एक गंभीर आपराधिक कृत्य है जो जीवन, संपत्ति और सुरक्षा,  तीनों के लिए खतरा है।

कानूनी कार्रवाई शुरू

गिरफ्तार अभियुक्तों के विरुद्ध थाना बेलीपार में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है। इन धाराओं में धोखाधड़ी, मिलावट, जालसाजी और आपराधिक षड्यंत्र शामिल हैं। पुलिस ने कोर्ट से रिमांड की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिससे अन्य जानकारी प्राप्त की जा सके।
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 गोरखपुर जिला प्रशासन और एसटीएफ ने आम लोगों व व्यापारियों से अपील की है कि वे सीमेंट या किसी भी निर्माण सामग्री की खरीदारी करते समय ब्रांड की सत्यता की जांच करें। अनधिकृत स्रोतों से सीमेंट खरीदने से बचें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत स्थानीय पुलिस या एसटीएफ को दें। इस घटना के बाद प्रदेश भर में नकली निर्माण सामग्री के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाए जाने की योजना है। एसटीएफ के साथ स्थानीय प्रशासन और विभागीय अधिकारियों की टीमें भी कार्रवाई करेंगी। उपभोक्ता संरक्षण से जुड़ी एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया गया है।

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