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लखनऊ

UP Schools: योगी बोले- यूपी में कोई स्कूल बंद नहीं, शिक्षा होगी और आधुनिक

No Schools Shut in UP, Says CM Yogi: उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया कि राज्य में कोई भी स्कूल बंद नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि 50 से कम छात्रों वाले स्कूलों का बेहतर सुविधाओं के लिए विलय किया जा रहा है। विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए योगी ने शिक्षकों की भर्ती पारदर्शी ढंग से करने का आश्वासन दिया।

लखनऊAug 15, 2025 / 08:57 am

Ritesh Singh

प्रदेश में कोई स्कूल बंद नहीं         फोटो सोर्स :Patrika

प्रदेश में कोई स्कूल बंद नहीं         फोटो सोर्स :Patrika

UP Schools Education Policy: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा के मॉनसून सत्र में दावा किया कि उत्तर प्रदेश में किसी भी स्कूल को बंद नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था पहले से कहीं अधिक मजबूत और आधुनिक हुई है। विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि जिन विद्यालयों का विलय किया गया है, वे स्कूल ऐसे थे जिनमें 50 से कम छात्र थे और जो एक किलोमीटर के दायरे में स्थित थे। इन्हें बेहतर सुविधाओं वाले “इंटीग्रेटेड कैंपस” में बदला जा रहा है।

24 घंटे की अनवरत चर्चा में उठा मुद्दा

विधानसभा में ‘विजन–2047’ को लेकर हुई 24 घंटे की अनवरत चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने आरोप लगाया कि प्रदेश में शिक्षा का विस्तार करने के बजाय सरकार ने स्कूलों की संख्या कम कर दी है। उन्होंने कहा कि “29 हजार विद्यालयों का विलय कर दिया गया और 10 हजार विद्यालय बंद कर दिए गए।” पांडेय ने सरकार पर आरोप लगाया कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है। पांडेय ने आगे कहा कि जब पिछली सरकार पीडीए पाठशाला चलाती थी तो वर्तमान सत्ताधारी दल के लोग नाराज हो जाते थे। उन्होंने सवाल किया कि यदि छोटे विद्यालयों का विलय कर दिया गया और उन्हें बंद कर दिया गया, तो ऐसे में गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चे कहां पढ़ेंगे?

योगी का पलटवार – “प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था अब पहले से बेहतर”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि प्रदेश में कोई स्कूल बंद नहीं किया गया है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को मजबूत और आधुनिक बनाया जा रहा है। योगी ने कहा,“प्रदेश में 43 लाख नए छात्र जुड़े हैं। यदि शिक्षकों की कमी है तो अधियाचन भेजें, आयोग पूरी पारदर्शिता से भर्ती करेगा। स्कूलों को बंद करने का सवाल ही नहीं उठता। बल्कि जिन स्कूलों में 50 से कम छात्र थे और जो एक किलोमीटर की दूरी में स्थित थे, उन्हें बेहतर सुविधाओं के लिए विलय कर इंटीग्रेटेड कैंपस में बदला जा रहा है। इस विलय का उद्देश्य छात्र-शिक्षक अनुपात को 22:1 बनाए रखना और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। 
प्रदेश में कोई स्कूल बंद नहीं फोटो सोर्स :Patrika
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 से पहले प्रदेश के 1,56,000 बेसिक और संबद्ध विद्यालयों की स्थिति बेहद खराब थी। सपा सरकार के दौरान शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। वर्तमान सरकार ने न केवल विद्यालयों को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं बल्कि डिजिटल और आधुनिक सुविधाओं से भी लैस किया है।

क्या है ‘इंटीग्रेटेड कैंपस’ योजना

मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट किया कि सरकार छोटे और कमजोर स्कूलों को पूरी तरह बंद नहीं कर रही, बल्कि उन्हें बड़े और सुसज्जित परिसरों में विलय कर रही है।
  • यह छात्र-शिक्षक अनुपात को 22:1 रखने के लक्ष्य के तहत किया जा रहा है।
  • विलय किए गए स्कूलों को बेहतर क्लासरूम, लैब, लाइब्रेरी, खेल मैदान और डिजिटल सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
  • छात्रों को एक ही परिसर में उच्च गुणवत्ता की पढ़ाई, बेहतर शिक्षकों और संसाधनों का लाभ मिलेगा।

सपा पर सीधा हमला

  • योगी आदित्यनाथ ने सपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2017 से पहले विद्यालयों की दुर्दशा का जिम्मेदार पिछली सरकारें हैं।
  • उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने न तो शिक्षकों की भर्ती पारदर्शी ढंग से की और न ही स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार किया।
  • उन्होंने कहा कि आज प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का स्तर बढ़ा है, छात्रों की संख्या बढ़ी है और माता-पिता का विश्वास भी लौटा है।
  • अधियाचन भेजे, आयोग करेगा पारदर्शी भर्ती
  • मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि यदि शिक्षकों की कमी महसूस हो रही है, तो संबंधित विभाग अधियाचन भेजे।
  • आयोग को निर्देश दिया गया है कि वह भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी तरीके से संचालित करे।
  • इससे योग्य शिक्षकों की नियुक्ति समय पर होगी और छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलेगी।

विपक्ष का पलटवार – “गरीबों को शिक्षा से दूर करने की साजिश”

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि सरकार की इस नीति से गरीब, ग्रामीण और पिछड़े वर्ग के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का उद्देश्य शिक्षा का विस्तार नहीं बल्कि कटौती करना है। पांडेय ने कहा कि जब छोटे गांवों के स्कूलों को बंद किया जाता है या दूर के स्कूलों में विलय कर दिया जाता है, तो वहां पढ़ने वाले बच्चे लंबी दूरी तय करने को मजबूर हो जाते हैं। उन्होंने इसे गरीबों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की रणनीति बताया।

शिक्षा पर मचा सियासी घमासान

  • विधानसभा में स्कूलों के विलय को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली।
  • सपा का आरोप: सरकार ने 29 हजार स्कूलों का विलय किया और 10 हजार स्कूल बंद कर दिए।
  • योगी सरकार का दावा: कोई स्कूल बंद नहीं हुआ, बल्कि 50 से कम छात्रों वाले स्कूलों को बेहतर संसाधनों वाले इंटीग्रेटेड कैंपस में बदला जा रहा है।
  • सरकार का तर्क: छात्र-शिक्षक अनुपात 22:1 रखने, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और सुविधाएं सुधारने के लिए यह कदम उठाया गया है।
  • अतिरिक्त दावा: प्रदेश में 43 लाख छात्रों की वृद्धि हुई है और शिक्षकों की भर्ती पारदर्शी तरीके से की जाएगी।
विधानसभा में यह मुद्दा आने वाले दिनों में भी सियासी हलचल पैदा कर सकता है क्योंकि यह सीधे गरीब और ग्रामीण बच्चों की शिक्षा से जुड़ा है। विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है, जबकि सरकार इसे शिक्षा सुधार की ऐतिहासिक पहल बताने पर जोर दे रही है।

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