scriptUP Police Action: यूपी पुलिस का एक्शन मोड: 14,000 मुठभेड़ें, 234 अपराधी ढेर | UP Police Action: 234 Criminals Killed in 8 Years: UP Police Encounter Crackdown under Yogi Govt | Patrika News
लखनऊ

UP Police Action: यूपी पुलिस का एक्शन मोड: 14,000 मुठभेड़ें, 234 अपराधी ढेर

UP Police: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत पिछले आठ वर्षों में अपराधियों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया। इस दौरान 14,741 मुठभेड़ों में 234 दुर्दांत अपराधी मारे गए, 30,293 को गिरफ्तार किया गया और हजारों घायल हुए। पुलिस बल ने इस कार्रवाई में बहादुरी से मोर्चा संभाला।

लखनऊJun 20, 2025 / 09:00 am

Ritesh Singh

आठ वर्षों में 234 दुर्दांत अपराधी ढेर: अपराधियों पर 'जीरो टॉलरेंस' का कड़ा संदेश फोटो सोर्स : Patrika

आठ वर्षों में 234 दुर्दांत अपराधी ढेर: अपराधियों पर ‘जीरो टॉलरेंस’ का कड़ा संदेश फोटो सोर्स : Patrika

 UP Crime Crackdown: उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ चला रहे अभियान ने बीते आठ वर्षों में एक सख्त और निर्णायक मोड़ लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में राज्य सरकार द्वारा अपनाई गई ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ के तहत पुलिस ने अपराध और अपराधियों के खिलाफ अभूतपूर्व एक्शन लेते हुए 234 दुर्दांत अपराधियों को मुठभेड़ों में ढेर कर दिया है। यह आंकड़ा राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार की कठोर नीति और पुलिस की सक्रियता को दर्शाता है।
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आठ वर्षों में 14,741 पुलिस मुठभेड़, 30,293 अपराधी गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्णा द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017 से 2025 के बीच पूरे राज्य में कुल 14,741 मुठभेड़ें हुईं। इन कार्रवाइयों में 30,293 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया जबकि 9,202 अपराधी घायल हुए। वहीं, इन अभियानों में 18 पुलिसकर्मियों ने अपनी जान की आहुति दी और 1,700 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए। सरकार की यह नीति केवल अपराधियों के एनकाउंटर तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसके साथ ही गैंगस्टर एक्ट, संपत्ति कुर्की, एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) और अन्य सख्त कानूनों को भी प्रभावी रूप से लागू किया गया।
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1.मेरठ जोन बना अपराधियों के सफाए में अग्रणी

उत्तर प्रदेश के मेरठ जोन ने मुठभेड़ों की संख्या और प्रभावशीलता के मामले में अन्य सभी जोनों को पीछे छोड़ दिया है। मेरठ जोन में:

  • कुल 4,183 मुठभेड़ें दर्ज की गयी
  • 7,871 अपराधी गिरफ्तार किए गए
  • 2,839 अपराधी घायल हुए
  • 77 अपराधियों को मुठभेड़ में मारा गया
  • इस कार्रवाई में 452 पुलिसकर्मी घायल हुए, जबकि 2 पुलिसकर्मियों ने शहादत दी
मेरठ जोन के इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में पुलिस ने संगठित अपराध के खिलाफ पूरी ताकत झोंकी।
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2.वाराणसी और आगरा जोन भी पीछे नहीं

वाराणसी जोन और आगरा जोन क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे:

वाराणसी जोन में

  • 1,041 मुठभेड़ें
  • 2,009 गिरफ्तारियाँ
  • 605 अपराधी और 96 पुलिसकर्मी घायल
  • 26 अपराधियों को मारा गया
आगरा जोन में
  • 2,288 मुठभेड़ें
  • 5,496 गिरफ्तारियाँ
  • 715 अपराधी और 56 पुलिसकर्मी घायल
  • 19 अपराधी ढेर किए गए
इन दोनों क्षेत्रों में पुलिस का अभियान लगातार जारी रहा और स्थानीय अपराध पर प्रभावी अंकुश लगा।

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3.कमिश्नरेट स्तर पर लखनऊ अव्वल

उत्तर प्रदेश के कमिश्नरेट मॉडल वाले शहरों में भी अपराध नियंत्रण को लेकर सख्त रवैया अपनाया गया है। लखनऊ कमिश्नरेट ने सबसे ज्यादा 11 अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया, जो 126 मुठभेड़ों के माध्यम से संभव हुआ।
अन्य कमिश्नरेट के आंकड़े इस प्रकार हैं:

  • गौतमबुद्ध नगर: 1,035 मुठभेड़ें, 9 अपराधी ढेर
  • कानपुर कमिश्नरेट: 221 मुठभेड़ें, 4 अपराधी ढेर
  • वाराणसी कमिश्नरेट: 118 मुठभेड़ें, 7 अपराधी ढेर
  • आगरा कमिश्नरेट: 426 मुठभेड़ें, 7 अपराधी ढेर
  • प्रयागराज कमिश्नरेट: 126 मुठभेड़ें, 5 अपराधी ढेर
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अन्य जोनों में भी सक्रिय रही पुलिस

अन्य पारंपरिक जोनों की बात करें तो:

  • लखनऊ जोन: 790 मुठभेड़ें, 15 अपराधी ढेर
  • प्रयागराज जोन: 506 मुठभेड़ें, 10 अपराधी ढेर
  • बरेली जोन: 1,962 मुठभेड़ें, 15 अपराधी ढेर
  • कानपुर जोन: 657 मुठभेड़ें, 11 अपराधी ढेर
  • गोरखपुर जोन: 594 मुठभेड़ें, 8 अपराधी ढेर
ये आँकड़े बताते हैं कि सरकार की नीति किसी विशेष क्षेत्र तक सीमित न रहकर पूरे प्रदेश में समान रूप से लागू की गई।
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अपराधियों में भय और जनता में विश्वास का माहौल

सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का असर न केवल आंकड़ों में बल्कि सामाजिक परिदृश्य में भी दिखाई देता है। पुलिस की इन कार्रवाइयों से अपराधियों में भय का वातावरण बना है और आम जनता में सुरक्षा की भावना मजबूत हुई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘अपराधी या तो जेल में होगा या प्रदेश से बाहर’ के संकल्प को जमीनी हकीकत में उतारा गया है। संगठित अपराध, माफियागीरी और अवैध वसूली पर पुलिस ने नकेल कसते हुए कई माफिया सरगनाओं की संपत्तियां कुर्क की हैं और उन्हें कानून के शिकंजे में लाया गया है।
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राष्ट्रीय स्तर पर सराहना

उत्तर प्रदेश में अपराध पर नियंत्रण के इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली है। नीति आयोग, गृह मंत्रालय और कई राज्यों के प्रतिनिधि इस मॉडल को अन्य राज्यों में लागू करने पर विचार कर चुके हैं। यह साबित करता है कि उत्तर प्रदेश अब ‘बीमारू राज्य’ की छवि से निकलकर कानून-व्यवस्था की मिसाल बन रहा है।

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