यह पदोन्नति केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि प्रतीकात्मक रूप से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि डीजी रैंक पर नियुक्ति का अर्थ है कि अधिकारी अब पुलिस सेवा की सर्वोच्च पंक्ति में शामिल हो चुके हैं। इससे न केवल विभागीय सम्मान बढ़ता है, बल्कि जिम्मेदारियों का दायरा भी व्यापक हो जाता है।
कौन हैं ये दोनों अधिकारी
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार जिन दो वरिष्ठ अधिकारियों को डीजी बनाए जाने की तैयारी है, वे इस समय एडीजी (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक) के पद पर कार्यरत हैं और दोनों ही 1991 बैच के IPS अधिकारी हैं। उनका सेवा रिकॉर्ड, विभागीय कार्य शैली और राज्य सरकार के साथ समन्वय बेहद संतुलित और सराहनीय रहा है। फिलहाल उनके नाम की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन विभागीय हलकों में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और एडीजी ट्रेनिंग के पद पर कार्यरत दो अफसरों के नामों की सबसे अधिक चर्चा है।
डीजी रैंक की महत्ता
भारतीय पुलिस सेवा में डीजी रैंक सर्वोच्च पद होता है। राज्य पुलिस बलों में पुलिस महानिदेशक (DGP), महानिदेशक कारागार, महानिदेशक होमगार्ड, महानिदेशक सतर्कता जैसे पद इस रैंक के अंतर्गत आते हैं। यह रैंक केवल सीनियरिटी का ही नहीं, बल्कि प्रभावशीलता, प्रशासनिक समझ, और संगठनात्मक नेतृत्व का भी प्रतीक होता है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में डीजी रैंक के अधिकारियों की भूमिका नीति निर्माण, आपदा प्रबंधन, राज्य सुरक्षा रणनीति, प्रशिक्षण और पुलिस आधुनिकीकरण से जुड़ी होती है। ऐसे में यह पदोन्नति न केवल अफसरों के करियर के लिए, बल्कि पूरे पुलिस ढांचे के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
सेवा वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति
IPS अफसरों की पदोन्नति सेवा वरिष्ठता, वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियों (ACR), विभागीय आचरण और उपलब्धियों के आधार पर होती है। डीजी रैंक पर पदोन्नति के लिए कम से कम 30 वर्षों की सेवा पूरी करनी होती है और उनका सेवा रिकॉर्ड बेदाग होना चाहिए। इन दोनों अफसरों ने विभिन्न जिलों में एसएसपी, एसपी के पदों से लेकर जोनल स्तर तक सफलतापूर्वक कार्य किया है। इनमें से एक अधिकारी आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) में प्रतिनियुक्ति पर भी रह चुके हैं और दूसरे को राज्य में सांप्रदायिक तनाव के समय शांति व्यवस्था कायम रखने में विशेष योगदान के लिए जाना जाता है।
राज्य में कुल डीजी रैंक के पद
वर्तमान में उत्तर प्रदेश में डीजी रैंक के लगभग 20 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से कुछ खाली चल रहे हैं। कुछ अफसर केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं, जबकि कुछ सेवानिवृत्ति के करीब हैं। ऐसे में नई पदोन्नति से खाली पदों को भरने और प्रशासनिक मजबूती देने में मदद मिलेगी। इसके अलावा आगामी महीनों में कई वरिष्ठ अफसरों के सेवानिवृत्त होने की संभावना है, जिससे राज्य में शीर्ष स्तर पर रिक्तियों की स्थिति बनेगी। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने समय से पहले पदोन्नति प्रक्रिया शुरू कर दी है।
राजनीतिक और प्रशासनिक महत्व
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर सरकार लगातार सख्ती बरत रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता में ‘प्रशासनिक पारदर्शिता, अपराध नियंत्रण, और समयबद्ध जवाबदेही’ प्रमुख है। ऐसे में DG रैंक पर पदोन्नत किए जाने वाले अधिकारियों से उम्मीद की जाती है कि वे योग्य नेतृत्व और राज्य हित में नीति अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। राजनीतिक दृष्टिकोण से भी यह नियुक्ति मायने रखती है, क्योंकि विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री अपने प्रशासनिक मॉडल को और प्रभावी बनाना चाहते हैं। वरिष्ठ अफसरों की नियुक्ति उसी दिशा में एक कड़ी मानी जा रही है।
IPS अफसरों की कैडर समीक्षा जल्द
इस पदोन्नति प्रक्रिया के साथ-साथ राज्य में IPS कैडर समीक्षा भी प्रस्तावित है। केंद्र और राज्य के बीच तालमेल बनाकर कैडर पुनर्गठन, पद सृजन, और संस्थागत संतुलन की योजना बनाई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, आने वाले महीनों में कुछ नए DG स्तर के पद सृजित किए जा सकते हैं, जिससे वरिष्ठता के अनुसार अधिक अफसरों को मौका मिल सके।
पदोन्नति की प्रक्रिया में पारदर्शिता
राज्य सरकार ने हाल के वर्षों में यह सुनिश्चित किया है कि पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो। वरिष्ठ अधिकारियों की सूची, सेवा रिकॉर्ड, एसीआर रिपोर्ट, और विभागीय अनुशासन की समीक्षा के बाद ही कोई निर्णय लिया जाता है। गृह विभाग और मुख्य सचिव कार्यालय मिलकर यह प्रक्रिया संपन्न करते हैं।
सेवानिवृत्त अफसरों की जगह लेना तय
यह भी माना जा रहा है कि ये दोनों अफसर निकट भविष्य में सेवानिवृत्त होने वाले DG स्तर के अफसरों की जगह ले सकते हैं। ऐसे में यह न सिर्फ पदोन्नति है, बल्कि भविष्य के नेतृत्व की बागडोर सौंपने की तैयारी भी है।