दो साल में 3053 मामलों में हुई 861 करोड़ की वसूली
यूपी रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने जानकारी दी कि अगस्त 2023 से जुलाई 2025 तक 3053 मामलों में 861 करोड़ रुपए की वसूली की गई। वर्षवार आंकड़ों की बात करें तो 2023 में 380 करोड़, 2024 में 463 करोड़ और 2025 में अब तक 251 करोड़ की वसूली दर्ज की गई। यूपी रेरा ने सिर्फ जबरन वसूली के माध्यम पर निर्भर न रहते हुए आपसी सहमति और समाधान-आधारित प्रक्रिया को भी प्राथमिकता दी है।
आपसी सहमति से 500 करोड़ की वसूली
आंकड़ों के अनुसार 1650 मामलों में 500 करोड़ की वसूली समझौते के जरिये हुई है, जबकि अन्य 8500 विवादों में लगभग 3320 करोड़ के समाधान निकाले गए हैं। इनमें रिफंड, कब्जा, विलंब और सेवा से जुड़ी शिकायतें शामिल थीं। कुल मिलाकर, अब तक 15,850 आवंटियों के मामलों में 5180 करोड़ की राहत प्रदान की गई है। रेरा का कहना है कि यह उपलब्धि पारदर्शिता, निगरानी व्यवस्था और डिजिटल सिस्टम के जरिये संभव हुई है।
राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया यूपी मॉडल
रेरा अध्यक्ष भूसरेड्डी ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि हर आवंटी को उसके अधिकार की राशि समयबद्ध तरीके से प्राप्त हो। हमने वसूली व्यवस्था को डिजिटल, पारदर्शी और उत्तरदायी बनाया है। मासिक समीक्षा और निगरानी के साथ रजिस्ट्रेशन नीति में भी सुधार किए गए हैं, ताकि भविष्य में विवाद की संभावनाएं न्यूनतम रहें। उन्होंने बताया कि इस प्रभावी कार्यप्रणाली को राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली है। भारत सरकार ने यूपी रेरा की वसूली रणनीति को ‘बेस्ट प्रैक्टिस मॉडल’ के रूप में सराहा है। अन्य कई राज्य इस मॉडल को अपनाने की दिशा में विचार कर रहे हैं। यह सफलता उत्तर प्रदेश को न सिर्फ निर्माण क्षेत्र में, बल्कि न्यायिक समाधान और उपभोक्ता हित संरक्षण के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय अग्रणी की भूमिका में ला रही है।