Monsoon: अब छाएंगे बादल, चलेगी पुरवाई – तैयार रहें मौसम के नए तेवरों के लिए, 15 जून से बारिश का नया दौर
Monsoon Watch: गर्मी और लू से जूझती जनता को जल्द राहत मिलने की उम्मीद है। 15 जून से राज्य में वर्षा गतिविधियों में बढ़ोत्तरी होगी। मौसम विभाग के अनुसार 17 जून से पूर्वी और 19 जून से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अच्छी बारिश की संभावना है। उमस हालांकि बनी रहेगी।
मौसम विभाग का पूर्वानुमान, उमस भरी गर्मी से अभी नहीं मिलेगी राहत फोटोज सोर्स : A i
Monsoon Showers: झुलसाने वाली गर्मी और लू की मार झेल रहे लोगों को आगामी दिनों में राहत मिलने की उम्मीद बंधी है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में 15 जून से वर्षा गतिविधियों में धीरे-धीरे वृद्धि दर्ज की जाएगी, जिससे गर्मी की तीव्रता में शिथिलता आने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार यह परिवर्तन मुख्यतः मध्य क्षोभमंडल में सक्रिय हो रहे पश्चिमी विक्षोभ और निचले क्षोभमंडल में राजस्थान से मराठवाड़ा तक फैली द्रोणी (ट्रफ) के प्रभाव स्वरूप होगा। हालांकि प्रदेश में इस समय कोई सशक्त मानसूनी तंत्र सक्रिय नहीं है, लेकिन पुरवा (पूर्वी) हवाओं की गति में हुई वृद्धि और स्थानीय प्रभावों के कारण कई स्थानों पर छिटपुट वर्षा शुरू हो गई है। अनुमान है कि इन वर्षा गतिविधियों में 15 जून से उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी देखी जाएगी।
पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी वर्षा की संभावना
मौसम विभाग के अनुसार 17 जून से पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में अच्छी वर्षा की संभावना है, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह सिलसिला 19 जून से प्रारंभ होने की आशंका जताई जा रही है। इन तिथियों के बाद पूरे प्रदेश में तापमान में गिरावट और वातावरण में नमी के स्तर में बढ़ोत्तरी के साथ मानसून पूर्व गतिविधियां और अधिक प्रभावशाली हो सकती हैं। लखनऊ, गोरखपुर, प्रयागराज, वाराणसी, बहराइच, फैजाबाद और आसपास के इलाकों में पहले चरण में वर्षा की शुरुआत होने की संभावना है। वहीं मेरठ, मुरादाबाद, आगरा, सहारनपुर, अलीगढ़ और नोएडा क्षेत्र में बाद के चरण में भारी वर्षा संभावित है।
13 जून को मौसम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, बुंदेलखंड क्षेत्र के आसपास के इलाकों को छोड़कर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान में हल्की गिरावट दर्ज की गई है। आगरा और मैनपुरी को छोड़कर बाकी जिलों में तकनीकी रूप से लू की स्थिति दर्ज नहीं की गई है। इसके बावजूद, उच्च आर्द्रता स्तर और अपेक्षाकृत ऊँचे न्यूनतम तापमान के चलते प्रदेश के अधिकतर मैदानी इलाकों में ‘हीट इंडेक्स’ काफी अधिक बना हुआ है। हीट इंडेक्स वह तापमान होता है जिसे शरीर महसूस करता है, और यह हवा में नमी तथा वास्तविक तापमान के मिश्रण से प्रभावित होता है। इस कारणवश प्रदेश के तराई क्षेत्रों को छोड़कर अन्य स्थानों पर उमस भरी गर्मी अगले 1-2 दिनों तक बनी रहने की प्रबल संभावना है।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि वर्तमान में प्रदेश ‘प्री-मानसून ट्रांजिशन’ फेज़ में प्रवेश कर चुका है, जिसमें अचानक वर्षा, बिजली गिरना, तेज़ हवाएँ तथा क्षेत्रीय रूप से बादल फटना जैसी घटनाएँ आम हो जाती हैं। इस संक्रमण काल में तापमान और आर्द्रता के तीव्र उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं, जो मौसम को अप्रत्याशित बनाते हैं।
मध्य भारत में बने हुए दबाव के क्षेत्र और अरब सागर से आ रही नमी भरी हवाओं के कारण उत्तर भारत में वातावरण धीरे-धीरे मानसून के अनुकूल बनता जा रहा है। राजस्थान से मराठवाड़ा तक बनी द्रोणी रेखा (ट्रफ लाइन) के कारण हवाओं की दिशा पूर्व की ओर बदल रही है, जिससे उत्तर प्रदेश में वर्षा के लिए अनुकूल परिस्थितियां बन रही हैं।
सतर्क रहें, सावधानी बरतें
यद्यपि लू की स्थिति अब कमजोर पड़ रही है, लेकिन उमस भरी गर्मी अभी राहत देने के मूड में नहीं है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और मौसम विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार:
दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक खुले में न निकलें।
अधिक पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन करें।
हल्के और ढीले कपड़े पहनें।
बच्चों और बुजुर्गों को विशेष रूप से लू और उमस से बचाएं।
वायुमंडलीय अस्थिरता के कारण आंधी, बिजली गिरने जैसी घटनाओं से भी सतर्क रहें।
वर्षा गतिविधियों में आने वाली यह बढ़ोत्तरी प्रदेश के कृषकों के लिए भी शुभ संकेत लेकर आई है। मानसून पूर्व की वर्षा से खरीफ फसलों की बुवाई का कार्य प्रारंभ किया जा सकता है। हालांकि अभी मानसून की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि वर्षा की यह प्रवृत्ति लगातार बनी रही, तो जून के अंतिम सप्ताह तक सक्रिय मानसून उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर सकता है।
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