Monsoon in UP: अगले 48 से 72 घंटों के भीतर आकाशीय बिजली और भारी बारिश, जानिए मौसम विभाग की नई भविष्यवाणी
Monsoon Magic: मानसून ने दस्तक दे दी है और झमाझम बारिश की शुरुआत हो गई है। मौसम विभाग के अनुसार अगले कुछ दिनों में गरज-चमक के साथ भारी वर्षा की संभावना है। मानसून के सक्रिय होने से तापमान में गिरावट दर्ज की गई है और मौसम सुहावना हो गया है।
गरजते बादल, लहराते झोंके, मानसून ने रच दी मौसम की नई कहानी फोटो सोर्स : Patrika
Monsoon 2025: उत्तर प्रदेश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के सक्रिय होने से अगले कुछ दिनों में वर्षा में व्यापक वृद्धि की संभावना बन रही है। मौसम विभाग के अनुसार, मानसून ने राज्य में अपने निर्धारित समय पर दस्तक दी है और अब यह धीरे-धीरे पूरे प्रदेश में फैलने की ओर अग्रसर है। इसके चलते प्रदेश के कई हिस्सों में अगले 48 से 72 घंटों के भीतर भारी से बहुत भारी वर्षा, मेघ गर्जन और वज्रपात की स्थिति बनने की संभावना जताई गई है।
मौसम विभाग ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की प्रदेश में सामान्य प्रविष्टि तिथि 18 जून मानी जाती है और इस वर्ष यह निर्धारित समय पर ही सोनभद्र जिले के रास्ते उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर गया है। 19 जून को मानसून ने बिहार के अधिकांश हिस्सों को आच्छादित करते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ और हिस्सों में भी प्रगति कर ली है।
मानसून की उत्तरी सीमा (Northern Limit of Monsoon – NLM) वर्तमान में 25.0° उत्तरी अक्षांश और 60° पूर्वी देशांतर से शुरू होकर 30.5° उत्तरी अक्षांश और 81.5° पूर्वी देशांतर तक फैली हुई है। यह सीमा बाढ़मेर, जोधपुर, जयपुर, ग्वालियर, खजुराहो, सोनभद्र और बलिया जैसे प्रमुख स्थानों को कवर कर रही है। इस स्थिति से स्पष्ट है कि मानसून अब धीरे-धीरे पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश की ओर भी बढ़ेगा।
मौसमी तंत्र और संभावित परिवर्तन
मौसमी विश्लेषण से पता चलता है कि निचले क्षोभमंडल (Troposphere) में दक्षिणी पंजाब से लेकर उत्तरी मध्य प्रदेश होते हुए दक्षिणी असम तक एक सक्रिय पूर्व-पश्चिम दिशा की मौसमी द्रोणी (Monsoon Trough) बनी हुई है। इसके साथ ही एक चिह्नित कम दबाव का क्षेत्र झारखंड के उत्तर-पूर्वी भागों और उससे सटे गांगेय पश्चिम बंगाल में मौजूद है, जो ऊपरी क्षोभमंडल तक विस्तारित है।
यह मौसमी तंत्र अगले 24 घंटों में उत्तर-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ने की संभावना है। इससे प्रदेश में मेघगर्जन, आकाशीय बिजली गिरने (वज्रपात) और व्यापक वर्षा की संभावनाओं को बल मिला है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आगामी दो से तीन दिनों के दौरान यह स्थिति और अधिक सशक्त होगी और मानसून के प्रदेश के और हिस्सों में फैलने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनेंगी।
प्रदेश में भारी वर्षा की चेतावनी
मौसम विभाग ने 21 जून तक राज्य के दक्षिणी हिस्सों में कहीं-कहीं बहुत भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है। यह स्थिति विशेष रूप से बुंदेलखंड, विंध्य क्षेत्र और पूर्वांचल के कुछ भागों में देखी जा सकती है। इसके साथ ही बाकी प्रदेश में भी मध्यम से भारी बारिश की संभावना बनी हुई है।
उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (UPSDMA) ने जिलाधिकारियों को सतर्क किया है और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए चेतावनी जारी की गई है। वर्षा के दौरान बिजली गिरने की घटनाओं से बचने हेतु लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रहने, मोबाइल फोन और धातु की वस्तुएं न छूने और पेड़ों के नीचे शरण न लेने की सलाह दी गई है।
तापमान में गिरावट
मानसून की सक्रियता का सीधा प्रभाव तापमान पर भी पड़ा है। प्रदेश के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से 2 से 3 डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया है। मौसम विभाग का अनुमान है कि आगामी 2-3 दिनों के भीतर तापमान में और 2 से 4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट हो सकती है। इससे उमस और लू जैसी स्थितियों से राहत मिलने की संभावना है। लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी और झांसी जैसे शहरों में मानसून की पहली वर्षा से मौसम सुहावना हो गया है। लोग गर्मी से राहत महसूस कर रहे हैं और किसानों में भी उम्मीद जगी है कि इस बार खरीफ फसल की बुआई समय पर हो सकेगी।
मानसून की समय पर दस्तक से राज्य के कृषि क्षेत्र को काफी राहत मिलने की उम्मीद है। किसानों ने धान, मक्का, ज्वार और बाजरा जैसी खरीफ फसलों की बुआई की तैयारियां तेज कर दी हैं। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि मानसून इसी तरह सक्रिय बना रहा तो जल संकट की स्थिति टल सकती है और फसलों की पैदावार बेहतर हो सकती है। राज्य सरकार ने भी कृषि विभाग को निर्देश दिए हैं कि वे किसानों को समय पर बीज, खाद और तकनीकी सलाह उपलब्ध कराएं ताकि बारिश का भरपूर लाभ उठाया जा सके। जिलों में कृषि विज्ञान केंद्रों को सतर्क किया गया है और बुआई से जुड़ी योजनाओं को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं।
जहाँ एक ओर मानसून की बारिश से राहत मिली है, वहीं शहरी क्षेत्रों में जलभराव और यातायात की समस्या एक बड़ी चुनौती बन सकती है। लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, आगरा जैसे शहरों में पहले ही निकासी व्यवस्था की खामियों के कारण भारी वर्षा के बाद जलभराव की स्थिति बन जाती है। नगर निगमों को निर्देश दिए गए हैं कि नालियों की सफाई युद्धस्तर पर कराई जाए और आपात स्थिति के लिए राहत दलों को तैयार रखा जाए।
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