दोनों किशोर बुधवार को घर से निकले थे लेकिन देर रात तक वापस नहीं लौटे। उनके लौटने की आस में बैठे परिजनों की चिंता जब भय में बदली, तब जाकर तलाश शुरू हुई। परिजनों ने देर रात तक गांव और आसपास के क्षेत्रों में ढूंढ़ने का प्रयास किया लेकिन जब कोई पता नहीं चला, तो पुलिस को सूचित किया गया।
गुरुवार सुबह सई नदी में दो शव उतराते देखे गए। स्थानीय लोगों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने गोताखोरों की मदद से शवों को बाहर निकलवाया। शवों की शिनाख्त आदर्श और शिव के रूप में हुई तो पूरे गांव में कोहराम मच गया। घटनास्थल पर मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं और परिवारजन बिलखते रहे।
डूबने से हुई मौत की पुष्टि, गर्मियों में दोहराता खतरा
पुलिस जांच में सामने आया कि दोनों किशोर गर्मी के चलते सई नदी में नहाने गए थे। नहाते समय वे गहराई में चले गए और तैरना न आने के कारण डूब गए। सई नदी की इस जगह पर न तो कोई चेतावनी बोर्ड था और न ही कोई सुरक्षा इंतज़ाम।
ऐसे हादसे हर साल गर्मियों में सामने आते हैं, लेकिन आज तक प्रभावी समाधान नहीं निकल पाया है। हादसों के बाद जांच और घोषणाएं होती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर बदलाव ना के बराबर दिखाई देता है। गांव में पसरा मातम, स्कूल में भी शोक
आदर्श और शिव, दोनों ही स्थानीय स्कूल में कक्षा 9वीं के छात्र थे। दोनों पढ़ाई में अच्छे, खेलकूद में तेज और गांव के प्रिय चेहरे थे। उनकी असमय मृत्यु से स्कूल के शिक्षकों और छात्रों में भी शोक की लहर है। प्रधानाचार्य ने बताया कि दोनों छात्र स्कूल के हर आयोजन में भाग लेते थे और उनके जाने से स्कूल में एक खालीपन सा महसूस हो रहा है। दोनों किशोरों के परिवार सामान्य आर्थिक स्थिति के हैं। आदर्श के पिता एक छोटी सी दुकान चलाते हैं जबकि शिव के पिता खेतों में मजदूरी करते हैं। दोनों ही परिवारों की उम्मीदें अपने बेटों से जुड़ी थीं। उनका सपना था कि पढ़-लिखकर ये बच्चे परिवार की स्थिति को सुधारें। एक झटके में वह सपना टूट गया।
प्रशासन की भूमिका और आगे की कार्रवाई
घटना के बाद मोहनलालगंज थाने की पुलिस ने पंचनामा कर दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि परिजनों की तहरीर के आधार पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने फिलहाल परिवारों को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है।
स्थानीय लोगों की मांग
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सई नदी के इस हिस्से में पहले भी हादसे हो चुके हैं, लेकिन न तो कोई सुरक्षा गार्ड तैनात है और न ही चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि नहाने या घूमने के लिए आने वाले युवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। सामाजिक कार्यकर्ताओं और जल सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे जल स्रोतों के पास चिन्हित स्थल बनाए जाने चाहिए, जहां नहाना सुरक्षित हो। इसके अलावा, गार्ड की तैनाती, चेतावनी बोर्ड और जन-जागरूकता अभियान अनिवार्य किए जाने चाहिए। हर साल गर्मियों में इस तरह की घटनाएं देशभर में होती हैं। सरकार और प्रशासन को इन हादसों को केवल ‘दुर्घटना’ कहकर नहीं टालना चाहिए, बल्कि संरचनात्मक सुधार लाने होंगे। बच्चों को सुरक्षित जल क्रीड़ा स्थलों की जानकारी देना और माता-पिता की जागरूकता भी जरूरी है।