scriptहिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक था ‘काकोरी कांड’; कहां रची गई थी साजिश और कौन थे मुख्य नायक? | Kakori kand symbol of Hindu Muslim unity know where conspiracy hatched and who were main heroes 15 August Special | Patrika News
लखनऊ

हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक था ‘काकोरी कांड’; कहां रची गई थी साजिश और कौन थे मुख्य नायक?

Kakori Kand: ‘काकोरी कांड’ हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक था। जानिए कांड की साजिश कहां रची गई थी और कौन इस कांड के मुख्य नायक थे?

लखनऊAug 08, 2025 / 03:59 pm

Harshul Mehra

kankori Kand

काकोरी कांड। फोटो सोर्स-Ai

Kakori Kand: 100 साल पहले, 9 अगस्त 1925 को क्रांतिकारियों के एक समूह ने एक साहसिक रेल डकैती को अंजाम दिया। जिसकी गूंज पूरे देश और उसके बाहर भी सुनाई दी। क्रांतिकारी आंदोलन के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) द्वारा किया गया एक साहसिक प्रयास था। इसने स्वतंत्रता संग्राम में हिंदू-मुस्लिम एकता को भी उजागर किया.

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राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में हुआ काकोरी कांड

राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में काकोरी कांड को अंजाम दिया गया। दल में शामिल क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश सरकार के खजाने से 8,000 रुपये (आज के करोड़ों रुपये के बराबर) ट्रेन से लूट लिए थे।

कौन-कौन थे काकोरी कांड के नायक

काकोरी कांड की साजिश लखनऊ में राम प्रसाद बिस्मिल के आवास पर रची गई थी। अशफाकउल्लाह खान, चंद्रशेखर आजाद, सचिंद्र नाथ सान्याल, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह, मुकुंदी लाल, बनवारी लाल, मुरारी लाल, केशव चक्रवर्ती और मन्मथ नाथ गुप्ता सहित HRA के नेता इस अभियान की रणनीति बनाने के लिए अक्सर मिलते थे।
राम प्रसाद बिस्मिल-फोटो सोर्स-विकिपीडिया।

क्या था काकोरी कांड

9 अगस्त, 1925 को, क्रांतिकारियों ने लखनऊ से लगभग 15 किलोमीटर दूर काकोरी में ट्रेन रोक दी। क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश गार्डों पर काबू पाकर सरकारी नकदी ले जा रहे डिब्बे को अलग कर दिया। इसके बाद क्रांतिकारियों के समूह ने कैश बॉक्स तोड़ दिया और पैसे लेकर फरार हो गए।
अशफाकउल्लाह खान। फोटो सोर्स-विकिपीडिया।

40 से ज्यादा लोगों की हुई थी गिरफ्तारी

हालांकि, अंग्रेजों ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई की और मामले से जुड़े 40 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया। कई लोगों पर लखनऊ में एक लंबा मुकदमा चला, जिसे काकोरी षड्यंत्र केस कहा गया। ये केस 18 महीने से ज्यादा चला। मामले में चार क्रांतिकारियों राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को मौत की सजा सुनाई गई। वहीं अन्य कुछ आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा मिली थी।
चंद्रशेखर आजाद। फोटो सोर्स-विकिपीडिया।
मुख्य षड्यंत्रकारियों में एकमात्र मुस्लिम, अशफाकउल्लाह खान, बिस्मिल के घनिष्ठ मित्र थे। उनका सौहार्द सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक था और स्वतंत्रता संग्राम में एकता की प्रेरणा देता था।

काकोरी कांड से जगी भारतीयों में नई चेतना

काकोरी आंदोलन ने भारतीयों में एक नई चेतना जगाई। इसने युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। HRA और बाद में HSRA (हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन) जैसे संगठन और मजबूत हुए। काकोरी के शहीदों का बलिदान ब्रिटिश दमन के खिलाफ एक नारा बन गया। उनकी कहानियां लोकगीतों, कविताओं और क्रांतिकारी साहित्य में जगह पाती रहीं। इस घटना ने उन लोगों के दृढ़ संकल्प को अमर कर दिया जिन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए आजादी की सांस लेने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

गर्व के साथ किया जाता है काकोरी के वीरों का वर्णन

काकोरी के वीरों की वीरता का वर्णन आज भी गर्व के साथ किया जाता है। बिस्मिल को गोरखपुर जेल में, अशफाकउल्लाह को फैजाबाद में, लाहिड़ी को गोंडा में और रोशन सिंह को इलाहाबाद में फांसी दी गई। चंद्रशेखर आजाद गिरफ्तारी से बचते रहे और 1931 में अपनी शहादत तक क्रांतिकारी गतिविधियां जारी रखीं।

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