रविवार को मुख्यमंत्री से की भेंट
राजीव कृष्ण 1991 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं। कार्यभार ग्रहण करने से पहले वे उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष तथा विजिलेंस विभाग के डायरेक्टर के रूप में सेवाएं दे रहे थे। उन्हें 11 वरिष्ठ अधिकारियों को पीछे छोड़ते हुए डीजीपी पद की जिम्मेदारी दी गई है। राजीव कृष्ण ने शनिवार रात करीब 9 बजे डीजीपी का कार्यभार संभाला और रविवार को मुख्यमंत्री से मिलकर शिष्टाचार मुलाकात की।
राज्य सरकार की प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाऊंगा: DGP
अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर राजीव कृष्ण ने लिखा कि यूपी पुलिस का नेतृत्व करने का अवसर पाकर वे मुख्यमंत्री के आभारी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे सरकार की प्राथमिकताओं जैसे अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति, महिला सुरक्षा, नागरिक केंद्रित पुलिसिंग और मजबूत कानून-व्यवस्था को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
प्रशांत कुमार को नहीं मिल पाया सेवा विस्तार
गौरतलब है कि पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार नहीं मिल पाया, जिसके चलते नए डीजीपी की नियुक्ति की गई। शनिवार को पूरे दिन इस बात को लेकर अटकलें चलती रहीं कि प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिलेगा या नहीं। लेकिन रात करीब आठ बजे स्थिति स्पष्ट हो गई जब सरकार ने राजीव कृष्ण को डीजीपी नियुक्त करने की घोषणा कर दी।
यूपी को लगातार पांचवीं बार मिला कार्यवाहक डीजीपी
राजीव कृष्ण ने 1989 और 1990 बैच के कई वरिष्ठ अफसरों को पीछे छोड़ते हुए यह पद प्राप्त किया है। इनमें शफी अहसान रिजवी, आशीष गुप्ता, आदित्य मिश्रा, संदीप सालुंके, रेणुका मिश्रा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। इसके साथ ही यह लगातार पांचवीं बार है जब राज्य में कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति हुई है। इसके पीछे कारण यह है कि राज्य सरकार पिछले तीन वर्षों से संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को स्थायी नियुक्ति के लिए पैनल नहीं भेज रही है।