निरीक्षण की शुरुआत कमता प्रथम से
निरीक्षण के दौरान सबसे पहले मंडलायुक्त प्राथमिक विद्यालय कमता प्रथम पहुँचीं। यह स्कूल स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत विकसित किया जा रहा है। यहां यूपी राजकीय निर्माण निगम एवं रूरल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट द्वारा विद्यालय परिसर में फर्नीचर, फर्श पर टाइल्स, रसोई शेड (किचन सेड), शौचालय, बाउंड्री वॉल, प्लास्टर, पेंटिंग, और इंटरलॉकिंग जैसी सुविधाएं प्रदान की गई हैं। अधिकारियों ने उन्हें अवगत कराया कि निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है और स्कूल को जल्द ही स्मार्ट सुविधाओं के साथ चालू कर दिया जाएगा।
हालांकि, निरीक्षण के दौरान मंडलायुक्त की नजर विद्यालय की रैंप (Ramp) पर पड़ी, जिसकी ऊंचाई आवश्यकता से अधिक पाई गई। उन्होंने इसे विद्यार्थियों, विशेषकर दिव्यांग बच्चों के लिए असुविधाजनक बताते हुए तत्काल रैंप की ऊंचाई कम करने और उसे मानकों के अनुसार दुरुस्त करने के निर्देश दिए।
चिनहट स्कूलों का भी किया निरीक्षण
कमता प्रथम के बाद मंडलायुक्त ने प्राथमिक विद्यालय चिनहट-1 और चिनहट-2 का निरीक्षण किया। इन स्कूलों में भी स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के निर्माण एवं सौंदर्यीकरण कार्य कराए जा रहे हैं। निरीक्षण के दौरान मंडलायुक्त ने निर्माण की प्रगति, उपयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता, कार्य की गति और बच्चों के लिए दी जाने वाली सुविधाओं का बारीकी से मूल्यांकन किया।
कूड़ा मिलने पर जेडएसओ पर कार्रवाई
निरीक्षण के दौरान कमता विद्यालय के पास कूड़ा डंप पाया गया। यह दृश्य न केवल स्मार्ट सिटी की अवधारणा को ठेस पहुँचाता है, बल्कि स्वच्छता और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी घातक है। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त ने जोनल स्वच्छता अधिकारी (ZSO) पंकज शुक्ला के खिलाफ तत्काल आरोप पत्र जारी करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए।
डॉ. रोशन जैकब ने कहा कि “बच्चों के स्कूलों में गंदगी किसी भी हालत में स्वीकार नहीं की जाएगी। स्मार्ट स्कूल केवल इमारतों से नहीं, बल्कि समग्र वातावरण से बनते हैं।” उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि आगे किसी भी विद्यालय परिसर या आस-पास सफाई में लापरवाही पाई गई, तो जिम्मेदार कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
स्मार्ट स्कूल का उद्देश्य
गौरतलब है कि स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत लखनऊ के कई प्राथमिक विद्यालयों को ‘स्मार्ट स्कूल’ के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर बुनियादी सुविधाएं, आधुनिक क्लासरूम, स्वच्छ वातावरण और डिजिटली सशक्त शिक्षा प्रदान करना है। इन स्कूलों में फर्नीचर के अलावा, स्मार्ट बोर्ड, डिजिटल कक्षाएं, आधुनिक रसोईघर, स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था, बालक-बालिकाओं के लिए अलग शौचालय तथा खेल-कूद के संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
मंडलायुक्त की सक्रियता को सराहा गया
डॉ. रोशन जैकब के निरीक्षण को शहरवासियों और जनप्रतिनिधियों ने सराहनीय कदम बताया। स्कूलों में जाकर स्वयं व्यवस्थाओं का जायजा लेना, न केवल प्रशासनिक सजगता को दर्शाता है बल्कि इससे अधिकारियों और कर्मचारियों को भी यह संदेश जाता है कि कार्य में लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
प्रशासन की प्राथमिकता में है शिक्षा और स्वच्छता
निरीक्षण के बाद मंडलायुक्त ने कहा कि “शिक्षा एक राष्ट्र की नींव होती है, और जब बच्चे स्वच्छ, सुरक्षित और सुविधायुक्त वातावरण में पढ़ते हैं तो उनका विकास और आत्मविश्वास दोगुना हो जाता है। प्राथमिक स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।” उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जहां-जहां कार्य पूर्ण हो चुका है, वहां विद्यालय को तत्काल संचालन योग्य बनाया जाए और शेष कार्यों को निर्धारित समयसीमा में पूर्ण किया जाए।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
निरीक्षण के बाद आसपास के स्थानीय नागरिकों और अभिभावकों ने प्रशासन की इस सक्रियता की प्रशंसा की। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “पहली बार हमने देखा कि इतने वरिष्ठ अधिकारी खुद स्कूलों का दौरा कर रहे हैं और छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान दे रहे हैं। इससे बच्चों को निश्चित ही लाभ मिलेगा।”
लखनऊ में स्मार्ट स्कूलों को लेकर प्रशासन का रुख अब और अधिक सक्रिय होता दिख रहा है। डॉ. रोशन जैकब द्वारा किए गए औचक निरीक्षण न केवल जिम्मेदार अधिकारियों को सतर्क कर रहे हैं, बल्कि शिक्षा और स्वच्छता को लेकर सरकार की गंभीरता भी दर्शा रहे हैं। यदि इसी तरह ईमानदारी से योजनाओं का क्रियान्वयन होता रहा, तो निकट भविष्य में सरकारी विद्यालय भी निजी स्कूलों को टक्कर देते नजर आएंगे।