scriptCharbagh Architecture: चारबाग रेलवे स्टेशन ने पूरे किए 100 साल: इतिहास, विरासत और विकास की अनोखी दास्तान | Charbagh Architecture: 100 Glorious Years of Charbagh Railway Station: Where Heritage Meets Modernity | Patrika News
लखनऊ

Charbagh Architecture: चारबाग रेलवे स्टेशन ने पूरे किए 100 साल: इतिहास, विरासत और विकास की अनोखी दास्तान

Charbagh Station: लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन 2025 में अपनी स्थापत्य यात्रा के 100 वर्ष पूरे कर रहा है। मुगल, राजस्थानी और ब्रिटिश वास्तुकला का सुंदर संगम, यह स्टेशन केवल एक यात्री केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर है जो लखनऊ की पहचान का अटूट हिस्सा बन चुका है।

लखनऊAug 02, 2025 / 04:08 pm

Ritesh Singh

एक सदी की गौरव गाथा, स्थापत्य, संस्कृति और आधुनिकता का अद्भुत संगम फोटो सोर्स : Patrika

एक सदी की गौरव गाथा, स्थापत्य, संस्कृति और आधुनिकता का अद्भुत संगम फोटो सोर्स : Patrika

100 Glorious Years of Charbagh Railway Station: उत्तर भारत का प्रमुख प्रवेशद्वार कहे जाने वाला लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन आज सौ वर्ष पूरे कर चुका है। साल 1923 में जब इसकी नींव रखी गई, तब किसी ने कल्पना नहीं की थी कि यह स्टेशन आने वाले समय में भारतीय रेलवे की शान, स्थापत्य सौंदर्य का प्रतीक और लखनऊ की सांस्कृतिक पहचान बन जाएगा। आज जब यह गौरवशाली स्थल अपने 100 वर्ष पूर्ण कर चुका है, तब न सिर्फ शहर बल्कि पूरे देश के लिए यह गर्व का विषय बन गया है।

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स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण

चारबाग रेलवे स्टेशन की इमारत को देखकर पहली नज़र में कोई यह कह ही नहीं सकता कि यह एक रेलवे स्टेशन है। इसकी संरचना किसी राजमहल से कम नहीं लगती। मुगल, राजस्थानी और अवधी स्थापत्य शैली का सम्मिलित प्रभाव इसकी हर ईंट में महसूस होता है। लाल और सफेद पत्थरों से बनी इसकी मेहराबें, मीनारें और छतरियां स्थापत्य कला का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। इसके मुख्य वास्तुकार जे. एच. हॉर्नमैन थे, जिन्होंने इसे मात्र एक परिवहन केंद्र नहीं, बल्कि एक विरासत स्थल के रूप में तैयार किया। लगभग 70 लाख रुपये की लागत से 1923 में बने इस स्टेशन की नींव ही अपने आप में असाधारण थी। खास बात यह है कि इसकी वास्तुकला इस तरह से तैयार की गई थी कि स्टेशन के अंदर और बाहर की आवाजें एक-दूसरे को नहीं भेद पातीं। यह ध्वनि इंजीनियरिंग और शांति का अद्वितीय उदाहरण है।
 Charbagh

 नाम की ऐतिहासिकता: ‘चार बाग’

इस क्षेत्र को ‘चारबाग’ कहा जाने का इतिहास भी दिलचस्प है। फारसी में ‘चार’ का अर्थ होता है ‘चार’ और ‘बाग’ का अर्थ होता है ‘बग़ीचा’। कहा जाता है कि स्टेशन के निर्माण से पहले इस इलाके में चार बड़े बाग-बग़ीचे थे, जो यहां के हरियाली और सजीवता का प्रतीक थे। इन्हीं के आधार पर इसका नाम ‘चारबाग’ पड़ा।

आजादी के आंदोलन में भूमिका

चारबाग रेलवे स्टेशन सिर्फ स्थापत्य नहीं, बल्कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का गवाह भी रहा है। यह वही स्थान है जहां महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और मौलाना आज़ाद जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का लखनऊ आगमन होता रहा। माना जाता है कि गांधी और नेहरू की शुरुआती औपचारिक मुलाकातों में से एक इसी स्टेशन परिसर में हुई थी, जहां स्वतंत्रता आंदोलन की रणनीति पर विचार हुआ था।

 लाखों यात्रियों की रोज़ाना यात्रा का केंद्र

चारबाग स्टेशन एक समय में उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे का प्रमुख जंक्शन हुआ करता था। आज भी यह लखनऊ के मुख्य रेलवे स्टेशनों में शामिल है और प्रति दिन हजारों यात्री यहां से आवागमन करते हैं। यहां से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बनारस, गोरखपुर, प्रयागराज, झांसी, कानपुर जैसे शहरों के लिए सैकड़ों ट्रेनें चलती हैं। प्लेटफार्मों की लंबाई, ट्रैकों की क्षमता और ट्रैफिक कंट्रोल की सटीकता इसे एक तकनीकी उत्कृष्टता का उदाहरण बनाती है।
 Charbagh

आधुनिकता की ओर कदम

पिछले कुछ वर्षों में चारबाग रेलवे स्टेशन ने तकनीकी और सुविधाजनक दृष्टि से भी व्यापक बदलाव देखे हैं। इसमें शामिल हैं:

  • एलिवेटेड वॉकवे और एस्केलेटर
  • वेटिंग लाउंज और डिजिटल टिकट मशीनें
  • हाई-स्पीड फ्री वाई-फाई
  • सौर ऊर्जा से संचालित लाइट्स
  • वॉटर रीसायक्लिंग प्लांट्स
  • सेंसरयुक्त स्वच्छ टॉयलेट्स
  • डिजिटल कोच डिस्प्ले और सिग्नलिंग सिस्टम
ये सभी सुविधाएं इसे न केवल ऐतिहासिक बनाती हैं, बल्कि 21वीं सदी के अनुरूप भी तैयार करती हैं।

हेरिटेज म्यूज़ियम का प्रस्ताव

रेलवे प्रशासन ने चारबाग स्टेशन पर एक रेलवे हेरिटेज म्यूज़ियम बनाने की योजना तैयार की है। इसमें इस स्टेशन के सौ साल के इतिहास, स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका, यात्रियों की पुरानी तस्वीरें, पुराने टिकट और उपकरणों को प्रदर्शित किया जाएगा। यह म्यूजियम लखनऊ आने वाले पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बन सकता है।

चारबाग: शहर की संस्कृति से जुड़ा

चारबाग सिर्फ स्टेशन नहीं, लखनऊ की आत्मा से जुड़ा क्षेत्र है। इसके आसपास के इलाके अमीनाबाद, हजरतगंज, चौक, नवाबी संस्कृति, तहज़ीब और पारंपरिक बाज़ारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। स्टेशन से निकलते ही आपको लखनवी मिठाइयों की खुशबू, चिकनकारी के वस्त्र और ‘पैगाम-ए-मोहब्बत’ की तहज़ीब मिलती है।

 एक सदी का उत्सव 

चारबाग स्टेशन की 100वीं वर्षगांठ पर शहर में कई सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आयोजन प्रस्तावित हैं। रेलवे मंत्रालय द्वारा स्टेशन परिसर की हेरिटेज लाइटिंग, स्मृति-डाक टिकट और स्मारक दीवार के निर्माण की योजना है। इसका उद्देश्य न केवल इतिहास को संजोना है, बल्कि इसे आने वाली पीढ़ियों तक जीवंत रखना है।

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