2 विभागाध्यक्ष समेत 7 गिरफ्तार, पूर्व कुलपति सहित कई पर CID की चार्जशीट फोटो सोर्स : Patrika
Bhatkhande University Scam: उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी लखनऊ स्थित भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गया है। विश्वविद्यालय में ₹3.31 करोड़ के भारी वित्तीय घोटाले में सीआईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए नृत्य विभाग के विभागाध्यक्ष ज्ञानेंद्र दत्त वाजपेई, तालवाद्य विभाग के एचओडी मनोज मिश्रा सहित कुल सात आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
इस घोटाले के तार विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर निजी फर्मों तक जुड़ते नज़र आ रहे हैं। सीआईडी की जांच में सामने आया है कि विश्वविद्यालय में कला मंडपम निर्माण और अन्य निर्माण एवं तकनीकी कार्यों में व्यापक स्तर पर अनियमितताएं और भ्रष्टाचार हुआ, जिसमें विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारियों की मिलीभगत पाई गई।
कहां से शुरू हुआ मामला
यह मामला सबसे पहले 5 मार्च, 2021 को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के निर्देश पर प्रकाश में आया। राज्यपाल को निर्माण कार्यों में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें मिली थीं। इसके आधार पर लखनऊ के कैसरबाग कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। प्रारंभिक जांच ब्यूरो ऑफ विजिलेंस (BOW) द्वारा की गई थी, लेकिन बाद में 18 जनवरी 2024 को यह मामला CB-CID (अब CID) को सौंप दिया गया।
गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी
CID ने जांच में स्पष्ट पाया कि विश्वविद्यालय के अंदर कई ऐसे कार्य कराए गए, जिनमें बजट का दुरुपयोग किया गया। जिन सात लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है, उनमें शामिल हैं:
ज्ञानेंद्र दत्त वाजपेई – नृत्य विभाग के विभागाध्यक्ष
मनोज मिश्रा – तालवाद्य विभाग के एचओडी
मोहम्मद शोएब – निजी फर्म संचालक
कुंदन सिंह
सुरेश सिंह
विनोद कुमार मिश्रा
जुगल किशोर वर्मा
ये सभी आरोपी घोटाले की साजिश में शामिल थे और फर्जी बिलों के माध्यम से सरकारी धन की हेराफेरी की गई।
पूर्व कुलपति और अन्य अधिकारियों पर भी आरोप
सीआईडी की जांच के बाद जो सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई, वह थी विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. श्रुति सडोलिकर काटकर की भूमिका। एजेंसी ने पिछले माह ही उनके सहित 12 से अधिक लोगों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। जांच में यह पाया गया कि तत्कालीन कुलपति, आहरण-वितरण अधिकारी, लेखा विभाग, प्रशासनिक अधिकारी और तकनीकी समिति के सदस्य, निजी ठेकेदारों और फर्मों के साथ मिलीभगत कर बजट का अनुचित तरीके से उपयोग कर रहे थे। निर्माण कार्यों में बिना टेंडर, बिना गुणवत्ता जांच और फर्जी भुगतान किए गए।
निजी फर्मों की भूमिका भी संदेह के घेरे में
सीआईडी ने दर्जनों निजी कंपनियों व ठेकेदारों को भी इस घोटाले में दोषी पाया है। इन कंपनियों के माध्यम से फर्जी आपूर्ति, घटिया सामग्री और कार्यों को बिना पूरा किए भुगतान कराया गया। इन फर्मों के नाम हैं:
अंजली ट्रेडर्स
पुण्य एंटरप्राइजेज
ऊषा असोसिएट
भागीदार इंडियन फायर सर्विस एंटरप्राइजेज
साईं कृपा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन
एक्यूरेट इंजीनियरिंग
अपेक्स कूलिंग सर्विस
शर्मा रेफ्रिजरेशन
विशाल बिल्डर
एचए ट्रेडर्स
वर्मा इलेक्ट्रिकल्स
बीआर इंटरप्राइजेज
इन सभी कंपनियों के मालिकों और संचालकों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है और जल्द ही इनकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया भी तेज की जाएगी।
कला मंडपम घोटाले की प्रमुख गड़बड़ियां
घोटाले में जो प्रमुख गड़बड़ियां सामने आईं, उनमें शामिल हैं:
बिना वैध निविदा के कार्य आदेश जारी करना
अधूरे निर्माण कार्यों का पूरा भुगतान करना
नकली बिलों के माध्यम से सरकारी कोष से पैसा निकालना
गुणवत्ताहीन सामग्री का उपयोग
निर्माण स्थल पर निरीक्षण के बिना भुगतान स्वीकृत करना
पद का दुरुपयोग कर निजी कंपनियों को लाभ पहुँचाना
CID की जांच और सरकार की प्रतिक्रिया
सीआईडी की जांच रिपोर्ट में साक्ष्यों के आधार पर यह घोटाला साबित हुआ है। इस घोटाले की गूंज शासन तक पहुंच चुकी है। उच्च शिक्षा विभाग और राज्यपाल कार्यालय से इस पूरे प्रकरण की अलग से प्रशासनिक जांच कराने की संभावना जताई जा रही है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल पहले ही कह चुकी हैं कि विश्वविद्यालयों में पारदर्शिता, स्वायत्तता और जवाबदेही अनिवार्य है। इस मामले में लिप्त पाए जाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
सांस्कृतिक विरासत पर दाग
भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय भारत का एक प्रमुख संगीत शिक्षा संस्थान रहा है। शास्त्रीय संगीत की परंपरा को संजोने और प्रचारित करने में इसकी भूमिका ऐतिहासिक रही है। लेकिन इस घोटाले ने न सिर्फ विश्वविद्यालय की साख को ठेस पहुंचाई है, बल्कि संगीत शिक्षा से जुड़े लाखों विद्यार्थियों और कलाकारों के विश्वास को भी झटका दिया है।
आगे की कार्रवाई
सीआईडी ने इस मामले में आगे भी कई गिरफ्तारियां और पूछताछ की संभावनाएं जताई हैं। सूत्रों के अनुसार, कई और विभागों के अधिकारी व पूर्व कर्मचारी एजेंसी की रडार पर हैं। साथ ही वित्तीय अनियमितताओं की फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट भी जल्द ही सार्वजनिक की जा सकती है।
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