शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि खरीदी गई भूमि के कन्वर्जन और समर्पण की प्रक्रिया को जानबूझकर लंबित रखते हुए रिश्वत की मांग की जा रही थी। जांच में आरोप की पुष्टि होने पर एसीबी टीम ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकुल शर्मा और निरीक्षक पृथ्वीराज मीणा के नेतृत्व में ट्रैप कार्रवाई को अंजाम दिया।
तहसीलदार के निर्देश पर होमगार्ड ने रिश्वत की राशि ली, जिसके तुरंत बाद दोनों को मौके पर तहसील कार्यालय से गिरफ्तार कर लिया गया। एसीबी के महानिदेशक डॉ. रविप्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ जारी है और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर आगे की जांच की जा रही है।
पहले से थी निगरानी, अब फंसा जाल में
गौरतलब है कि तहसीलदार भरत कुमार यादव पहले भी एसीबी की निगरानी में था। करीब आठ महीने पहले कोटा एसीबी ने एक अन्य मामले में उसे संदिग्ध माना था, जो रजिस्ट्री से जुड़ा हुआ था। उस समय वह एसीबी की गिरफ्त में नहीं आया, लेकिन एसीबी की सतर्क निगाहें उस पर बनी रही। अंततः इस बार पुख्ता साक्ष्यों के आधार पर उसे ट्रैप कर गिरफ्तार कर लिया गया। यह था आठ माह पुराना मामला
एसीबी ने बताया कि पुराने मामले में परिवादी की बहन आबिदा अपने नाम मकान की गिफ्ट डीड करवाना चाहती थी। रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी होने और भुगतान के बावजूद तहसीलदार भरत कुमार यादव दस्तखत नहीं कर रहा था। इस कार्य के लिए ई-मित्र संचालक हरीश मंडोत ने दस्तखत करवाने की गारंटी ली थी और तहसीलदार के नाम पर पैसे मांगे थे। उस मामले में केवल ई-मित्र संचालक को आरोपी बनाया गया था, जबकि तहसीलदार को संदेह के दायरे में रखा गया था।
पुराने मामले की जांच कर रहे हैं झालावाड़ के एडिशनल एसपी
डीआईजी शिवराज मीणा ने बताया कि एसीबी की टीम ने 9 सितंबर 2024 को चेचट तहसील में कार्रवाई कर ई-मित्र संचालक हरीश मंडोत को 5 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। उस मामले में तहसीलदार यादव की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई थी। कोटा एसीबी ने स्पष्ट किया था कि यह रिश्वत तहसीलदार के लिए ली जा रही थी। इस मामले की जांच झालावाड़ के एडिशनल एसपी जगराम मीणा को सौंपी थी।