पिछले दिनों लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को कोटा प्रवास के दौरान कोटा देहात के भाजपा जिलाध्यक्ष प्रेम गोचर व बून्दी के जिलाध्यक्ष रामेश्वर मीणा की अगुवाई में किसानों ने अवगत कराया था कि कोटा-बूंदी समेत प्रदेश में अभी तक कई गांवों का राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन नहीं हुआ है।
इस कारण खाद्य विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद भी राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन नहीं होने के कारण खरीद एजेन्सियां गेहूं की खरीद से इनकार कर रही है। बिरला ने राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों को इस समस्या के समाधान के निर्देश दिए। इसके बाद यह संशोधित आदेश जारी किए गए हैं। जिलाध्यक्ष गोचर व मीना ने इसके लिए लोकसभा अध्यक्ष का आभार जताया है।
गैर-ऑनलाइन गांवों को मिलेगा सीधा लाभ
राज्य सरकार के संशोधित निर्देशों के अनुसार, जिन गांवों की तहसीलें अब तक ऑनलाइन नहीं हो सकी हैं, वहां के किसान अब पटवारी अथवा तहसीलदार द्वारा प्रमाणित ऑफलाइन गिरदावरी के आधार पर भी गेहूं की बिक्री कर सकेंगे। यह प्रावधान संबंधित क्रय केंद्रों पर लागू होगा और गिरदावरी की प्रमाणिकता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी क्रय केंद्र संचालकों की होगी।
दीगोद में ही 23 गांवों का रिकॉर्ड ऑनलाइन नहीं
जिला प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार दीगोद के 23 ग्राम का रिकार्ड एवं मौका स्थिति में काफी भिन्नता होने के कारण ऑनलाइन अधिसूचित होने से शेष रहे हैं। उक्त गांवों में सर्वे की कार्यवाही के पश्चात ऑनलाइन करवाया जा सकेगा। कोटा जिले में सर्वे-रिसर्वे का कार्य प्रगतिरत हैं जिसे पूर्ण किये जाने की समयावधि वर्ष 2026-27 तक निर्धारित हैं।