Ahmedabad Plane Crash में दीवार फांदकर बचाई कोटा के डॉक्टर ने जान, मौत के मां मुंह से खींच लाया महिला और 8 महीने के बच्चे को
Kota News: सीढ़ियों पर अंधेरा था लेकिन एक महिला और उसके 8 महीने के बच्चे को देख वे रुक गए। डॉ. पीयूष ने पहले महिला और बच्चे को पोल के सहारे ऊपर चढ़ाया फिर खुद दीवार फांदी।
Kota Doctor Piyush Malav: अहमदाबाद में हुए भयावह प्लेन क्रैश का मंजर कोटा के डॉ. पीयूष मालव आज भी नहीं भूल पा रहे हैं। 12 जून की दोपहर वे बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में सेकंड फ्लोर पर खाना खा रहे थे तभी तेज धमाके की आवाज आई। पहले तो लगा कोई बड़ा टैंकर फटा है लेकिन कुछ ही पलों में चारों तरफ धुआं फैल गया और आग की लपटें दिखाई देने लगीं।
धुएं से पूरा कमरा भर चुका था। खिड़कियों के शीशे टूट रहे थे और अंदर गर्म हवा के थपेड़े आने लगे। घबराहट और घुटन के बीच उन्होंने 10 सेकंड में फैसला लिया और मोबाइल व चार्जर लेकर बाहर की ओर भागे। सीढ़ियों पर अंधेरा था लेकिन एक महिला और उसके 8 महीने के बच्चे को देख वे रुक गए।
दीवार फांदकर बचाई जान
हॉस्टल के बाहर सिर्फ आग और धुआं था। वाहनों से उठती आग की लपटों के बीच एकमात्र रास्ता था – हॉस्टल की ऊंची दीवार को फांदना। डॉ. पीयूष ने पहले महिला और बच्चे को पोल के सहारे ऊपर चढ़ाया फिर खुद दीवार फांदी। इस दौरान उनका पैर मुड़ गया और फ्रैक्चर हो गया लेकिन जान बच गई।
सबसे पहले घर पर किया फोन
सुरक्षित ज़मीन पर पहुंचने के बाद जब उन्हें थोड़ी राहत मिली तो सबसे पहले पत्नी और पिता को फोन कर कहा – “मैं बच गया हूं।” आसपास के लोगों से लिफ्ट लेकर वे सिविल अस्पताल पहुंचे जहां इलाज शुरू हुआ।
एक हफ्ते पहले ही किया था ज्वाइन
डॉ. पीयूष ने अप्रैल में MCH पूरा किया था और जून में अहमदाबाद ज्वाइन किया। वे अकेले ही हॉस्टल में रह रहे थे। हादसे के दो दिन बाद कोटा से उनके दोस्त डॉ. चंदन सैनी और सुरेश मालव उन्हें लेने पहुंचे।
नहीं बच पाए कई लोग
इस भयानक हादसे में हॉस्टल की पांचवीं मंजिल पर रह रही एक रेजिडेंट डॉक्टर की पत्नी और उसका साला मारे गए। जिन महिला और बच्चे को डॉ. पीयूष ने बचाया वे झुलस गए और अस्पताल में भर्ती हैं।