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कोरबा

CG Elephant Died: 24 घंटे तक तड़पता रहा बेबी एलिफेंट, समय पर इलाज न मिलने से गई जान…

CG Elephant Died: कोरबा के जंगल में एक बेबी एलिफेंट की मौत हो गई है। जन्म के बाद से बेबी एलिफेंट दो रात तक बारिश में भीगता रहा और उसकी तबीयत बिगड़ती गई।

कोरबाAug 05, 2025 / 02:20 pm

Shradha Jaiswal

24 घंटे तक तड़पता रहा बेबी एलिफेंट, समय पर इलाज न मिलने से गई जान...(photo-patrika)

24 घंटे तक तड़पता रहा बेबी एलिफेंट, समय पर इलाज न मिलने से गई जान…(photo-patrika)

CG Elephant Died: छत्तीसगढ़ के कोरबा के जंगल में एक बेबी एलिफेंट की मौत हो गई है। जन्म के बाद से बेबी एलिफेंट दो रात तक बारिश में भीगता रहा और उसकी तबीयत बिगड़ती गई। वन विभाग ने पता चलने के 24 घंटे बाद बेबी एलिफेंट को रेस्क्यू तो किया,लेकिन उसकी जान नहीं बचा सका। रेस्क्यू में देरी का बड़ा कारण बेबी एलिफेंट को घेर कर खड़े हाथियों का झुंड रहा, जिसके कारण वन विभाग का अमला वहां तक नहीं पहुंच पा रहा था।

CG Elephant Died: मौत का कारण निमोनिया

बेबी एलिफेंट के साथ उसकी मां भी थी, जो बच्चे के पास खड़ी थी। इसलिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने में ही देरी हुई। एक अगस्त की मध्य रात पसरखेत वन परिक्षेत्र में बगदरीडांड के जंगल में 20 हाथियों का एक झुंड ठहरा हुआ था। इस झुंड में शामिल एक मादा हाथी ने बच्चे को जन्म दिया।
अगले दिन दो अगस्त की सुबह छह बजे वन विभाग को बेबी एलिफेंट मादा हाथी के साथ नजर आया। बेबी एलिफेंट बार- बार उठने की कोशिश कर रहा था। लेकिन वह उठ नहीं सक रहा था। तब हाथी निगरानी दल ने वन विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया। सुबह 11.30 बजे वन अफसर मौके पर पहुंचे। उन्होंने बेबी एलिफेंट के पास मादा हथनी और इसके आसपास हाथियों के झुंड को देखा।

बगधरीदांड में 2 दिन के नन्हे हाथी की मौत का मामला

उन्हें बेबी एलिफेंट कमजोर नजर आ रहा था। बेबी एलिफेंट को सुरक्षित जंगल से निकालकर इलाज करने की योजना बनाई। लेकिन झुंड के आक्रामक रूख को देखते हुए वन विभाग ने इरादा त्याग दिया। कोरबा से पशु चिकित्सा विभाग की टीम बुलाई गई। लेकिन इसमें बीमार बेबी एलिफेंट का इलाज करने वाले अनुभवी डॉक्टर नहीं थे। तब बिलासपुर कानन पेंडारी से डॉ. पीके चंदन अपनी टीम के साथ पहुंचे। दो अगस्त दोपहर दो बजे से फिर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। लेकिन मादा हाथी अपने बेबी एलिफेंट को छोड़कर हटने के लिए तैयार नहीं थी।
इस बीच बेबी एलिफेंट की तबीयत बिगड़ते गई। दो अगस्त की रात बेबी एलिफेंट फिर बारिश में भीगा। समय के साथ बेबी एलिफेंट के जिंदा रहने की उमीदें भी कम हो रही थी। इस बीच मादा हाथी अपने बीमार बच्चे को छोड़कर झुंड के साथ दूर चली गई। अगले दिन तीन अगस्त की सुबह वन विभाग ने बेबी एलिफेंट को जंगल से सुरक्षित बाहर निकाला, उसका इलाज शुरू किया गया। लेकिन जान नहीं बचाई जा सकी। बेबी एलिफेंट ने दोपहर 1.30 बजे दम तोड़ दिया।

हतेभर में दो हाथियों की मौत

कोरबा में वन मंडल में हतेभर में दो हाथियों की मौत हुई है। इस साप्ताह कुदमुरा क्षेत्र में एक किसान ने खेत के चारों ओर तार लगाकर बिजली के करंट से जोड़ दिया था। इसकी चपेट में आने से एक हाथी की मौत हो गई थी।
नवजात हाथी की मौत का कारण निमोनिया को बताया जा रहा है। शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर पीके चंदन के अनुसार बेबी एलिफेंट की मौत निमोनिया से हुई। बारिश में भीगने और किचड़ के आसपास जमीन पर पड़े होने से बेबी एलिफेंट को निमोनिया हो गया था। उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी।
बच्चा उठ नहीं सक रहा था। कोरबा के जंगल में गजराज भ्रमण करते हैं लेकिन हर साल अलग-अलग कारणों से उनकी जान जा रही है। अधिकतर मामलों में हाथियों की मौत का कारण समय पर इलाज नहीं मिलना या मानव की ओर से उठाया गया घायक कदम रहा है।

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