पद से हटाने का मूल कारण नगर निकाय चुनाव में सभापति पद के लिए भाजपा प्रत्याशी हितानंद अग्रवाल की हार को बताया जा रहा है। जिलाध्यक्ष रहते हुए शर्मा ने पार्टी में बगावत की सूचना राज्य इकाई देने में देरी की। शर्मा की ओर से सूचना तब दी गई जब हितानंद हार गए और भाजपा के बागी उम्मीदवार नूतन सिंह ठाकुर विजयी हुए।
पार्टी के पदाधिकारी जब मामले की जांच के लिए कोरबा पहुंचे। तब भी एक-एक जांच टीम सदस्याें से मिलने पार्षदों से रोका गया। स्थिति ऐसी बनी कि जांच से जुडे़ पार्टी नेताओं को कहना पड़ा कि दीवारों के भी कान होते हैं। पाली में हुई भाजपा नेता के हत्या के मामले में भी जिलाध्यक्ष शर्मा की भूमिका एकतरफा रही। पार्टी में कमजोर पकड़ शर्मा के बाहर होने का कारण बना।
क्यों हटाए गए मनोज शर्मा
नियुक्ति के चार माह के भीतर ही मनोज शर्मा को जिलाध्यक्ष पद से हटाए जाने के पीछे पाली हत्याकांड का मामला रहा है। पाली में पिछले माह में एसईसीएल की सरायपाली खदान क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर एक ट्रांसपोर्टर को मौत के घाट उतार दिया गया था। पुलिस ने इस हत्याकांड में 16 लोगों का नामजद आरोपी बनाया। इसमें
भाजपा के मंडल अध्यक्ष रोशन सिंह ठाकुर सहित अन्य नेता भी सम्मिलित थे। भाजपा के जिला उपाध्यक्ष संजय भावनानी को भी बाद मेंं नामजद किया गया।
बताया गया है कि हत्याकांड के बाद भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज शर्मा मामले को रफा-दफा करने पुलिस पर दबाव बना रहे थे। पता चला है कि मनोज शर्मा भी कोयले के धंधे से जुड़े हुए हैं। भाजपा हाईकमान को इसकी जानकारी मिली थी। दरअसल हत्याकांड में भाजपा के पदाधिकारियों का नाम आने के कारण पार्टी की किरकिरी हुई थी। बताया जा रहा है कि हत्याकांड के बाद से ही मनोज शर्मा को जिलाध्यक्ष के पद से हटाए जाने की चर्चा शुरू हो गई थी। दूसरा कारण यह भी बताया जा रहा है कि जिला स्तर पर पार्टी को संभाल नहीं पा रहे थे। समन्वय की कमी देखने को मिल रही थी।