scriptविश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस : अपनों का तिरस्कार, रिश्तों की दरार में तिल-तिल जिंदगी से संघर्ष कर रहे बुजुर्ग | World Senior Citizens Day: Disdain from loved ones, elderly people struggling with life bit by bit in the cracks of relationships | Patrika News
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विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस : अपनों का तिरस्कार, रिश्तों की दरार में तिल-तिल जिंदगी से संघर्ष कर रहे बुजुर्ग

बदलते सामाजिक ढांचे और बच्चों के तिरस्कार ने बुजुर्गों को ऐसी स्थिति में ला खड़ा किया है, जहां उन्हें अपने ही बच्चों से भरण-पोषण की गुहार लगानी पड़ रही है। प्रस्तुत है कुछ ऐसे बुजुर्गों किस्से जिनके अपने ही पराए बन गए।

खंडवाAug 21, 2025 / 01:00 pm

Rajesh Patel

World Senior Citizens Day

अपनों से पराए हुए बुजुर्ग श्रीदादा जी वृद्धा आश्रम में काट रहे जिंदगी

विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस सिर्फ सम्मान ही नहीं बल्कि आत्ममंथन का दिन भी है। यह दिन बच्चों को याद दिलाता है कि बुजुर्गों ने जीवन भर परिवार, समाज और देश के लिए योगदान दिया है। विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस पर उन बुजुर्गों की कहानी, जिनके अपने ही बन गए पराए
विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस सिर्फ सम्मान ही नहीं बल्कि आत्ममंथन का दिन भी है। यह दिन बच्चों को याद दिलाता है कि बुजुर्गों ने जीवन भर परिवार, समाज और देश के लिए योगदान दिया है। आज वही उपेक्षा और अकेलेपन के बीच जिंदगी से संघर्ष कर रहे हैं। बदलते सामाजिक ढांचे और बच्चों के तिरस्कार ने बुजुर्गों को ऐसी स्थिति में ला खड़ा किया है, जहां उन्हें अपने ही बच्चों से भरण-पोषण की गुहार लगानी पड़ रही है। प्रस्तुत है कुछ ऐसे बुजुर्गों किस्से जिनके अपने ही पराए बन गए।

सरकारी नौकरी में बेटा, पोषण के लिए भटक रहा पिता

केसून गांव निवासी 75 वर्षीय गोटू की कहानी समाज के उस सत्य को उजागर करती है, जहां बेटे की सरकारी नौकरी भी पिता के लिए सहारा नहीं बन सकी। बुजुर्ग गोटू के तीन बेटे हैं। इसमें एक बेटा इंदौर के एसपी कार्यालय में बाबू के पद पर कार्यरत है। बुजुर्ग ने कलेक्टर कार्यालय में आवेदन देकर बताया कि उसने अपनी गाढ़ी कमाई से बेटों को पढ़ाया-लिखाया। लेकिन, तीनों बेटे खर्च देने से इनकार कर रहे हैं। खेती करने की क्षमता नहीं रही, पत्नी भी रिश्तेदारों के यहां चली गई है। बुजुर्ग ने तीनों बेटों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है।

बेटों ने जमीन का किया बंटवारा, पिता पोषण की लगाई गुहार

रोहणी गांव के 80 वर्षीय बांगाजी की कहानी भी कम पीड़ादायक नहीं है। चार बेटों ने जमीन का बंटवारा कर लिया, लेकिन पिता के जीवन की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली। बांगाजी ने कुछ माह पहले कलेक्टर को आवेदन देकर भोजन और खर्च की मांग की। एसडीएम ने मामले में कार्रवाई शुरू की है। हालांकि पोती रानू का कहना है कि दादा जी से समझौता हो गया है और अब खर्च दिया जा रहा है, लेकिन दादा जी साथ रहने को तैयार नहीं हैं। यह कहानी पारिवारिक संवादहीनता और बुजुर्गों की असहायता को दर्शाती है।केस-03:

वृद्धा आश्रम में कट रही 21 बुजुर्गों की जिंदगी

रामनगर क्षेत्र में स्थित श्रीदादा जी वृद्धा आश्रम में 21 बुजुर्गों की जिंदगी तिल-तिल कर कट रही है। इनमें कई ऐसे हैं जिनके पास कोई नहीं है। कुछ को रिश्तेदारों ने संपत्ति हथियाने के बाद आश्रम में छोडे़ं दिया। कुछ को झूठ बोलकर पड़ोसी बताकर आश्रम में छोडा़ है। दो बुजुर्ग ऐसे हैं जिनके बच्चे उनके साथ मारपीट करते थे। आश्रम संचालिका अनीता सिंह बताती हैं कि ऐसे मामलों में बेटों को बुलाकर काउंसिलिंग की जाती है, और यदि बात नहीं बनी तो न्याय दिलाने के लिए एसडीएम कार्यालय में पेश किया जाता है।

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