Sugar Factory: नहीं मिलेगा गन्ने का समर्थन मूल्य
वहीं श्रमिक संघ ने भी इसे लेकर ज्ञापन सौंपा है। अब
किसान संघ 8 मई को प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी इसी विषय को लेकर ज्ञापन सौंपने की तैयारी कर रहे हैं जिसकी बकायदा लिखित सूचना उन्होंने जिला कलेक्टर को भी दे दी है। कारखाना के निजीकरण होने से किसानों को आशंका है कि गन्ने का समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा।
पंडरिया क्षेत्र के 7 हजार से अधिक किसान है जो शक्कर कारखाना में गन्ना बिक्री करते हैं। वह मुख्य लाभ से वंचित हो जाएंगे। इसके साथ ही आशंका है कि कारखाना में कार्यरत मजदूरों की संख्या भी घटा दी जाएगी। इससे बड़ी संख्या में श्रमिक व कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे। इसके चलते ही किसान संघ के साथ श्रमिक संघ भी शक्कर कारखाना के निजीकरण को लेकर विरोध जता रहे हैं।
वहीं बीते पेराई सत्र समाप्त होने के तीन माह बाद भी पंडरिया शक्कर कारखाना में गन्ना बेचने वाले क्षेत्र के 7250 गन्ना किसानों का लगभग 53 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया है। इससे यह आशंका और ज्यादा गहरा रही है।
निशाना साध रहे…
युवा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व जिला पंचायत सदस्य तुकाराम चन्द्रवंशी ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है और कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार हो या फिर प्रदेश की विष्णुदेव सरकार हमेशा से निजीकरण और उद्योगपतियों की हितैशी व पक्षधर रहे हैं। ऐसे में पंडरिया शक्कर कारखाना के निजीकरण की आशंका बिल्कुल सही जान पड़ रही है।
शक्कर कारखाना निजी हाथों में
Sugar Factory: प्रदेश की विष्णुदेव सरकार 28 जनवरी 25 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सहकारिता विभागीय समीक्षा बैठक ली। इसमें मुख्यसचिव, प्रमुख सचिव, अपर सचिव सहकारिता विभाग, प्रमुख सचिव कृषि, सहकारिता विभाग, पंजीयक सहकारी संस्थाएं, प्रबंध संचालक राज्य सहकारी विपणन संघ की उपस्थिति थे। इसमें प्रदेश के सभी शक्कर हानि में संचालित होने की बात कही। वहीं बालोद और मां महामाया सुरजपुर में संचालित सहकारी
शक्कर कारखाना को नुकसान में बताकर इन दोनों शक्कर कारखाना को निजी हाथों में सौंपने की बात रखी। इसका विभागीय समीक्षा बैठक का कार्रवाई विवरण के प्रस्ताव क्रमांक 18 के 2 में स्पष्ट उल्लेखित है। लेकिन इस बैठक में पंडरिया शक्कर कारखाना के निजीकरण की बात नहीं हुई।