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CG Weather: 26 से मानसून के सक्रिय होने की संभावना, आज होगी हल्की बारिश गांव व खेतों में काम करते समय अधिकांश लोग इन जहरीले जीवों का शिकार बन जाते हैं। इसके कारण लोग लगातार मौत के गाल में समा रहे हैं। जिला
अस्पताल में ही हर वर्ष 100 से अधिक सर्पदंश के मामले आते हैं। इसके अलावा बिच्छु व अन्य कीड़ों के काटे जाने के भी मामले सामने आते रहते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंश से अधिकांश लोग समय पर इलाज कराने के नाम पर झाड़फूंक का ही सहारा लेते हैं। इस चक्कर में सांप का जहर धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाता है। लिहाजा ऐसी परिस्थितियों में झाड़-फूंक के बजाय डॉक्टरी इलाज पर भरोसा रखना जरूरी है। प्रतिवर्ष ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जब जागरूकता की कमी के चलते लोग अपनी जान गंवा देते हैं।
जागरूक करने पहल नहीं जिले में प्रतिवर्ष सर्पदंश के दर्जनों मामले सामने आते हैं, जिसमें कई लोगों की मौत हो जाती है। इलाज में देरी और झाड़फूंक के चक्कर में फंसने से ही लोगों की मौत होती है। सर्पदंश के लगातार बढ़ते मामले और झाड़फूंक में फंसे ग्रामीणों को उबारने के लिए स्वास्थ्य विभाग कोई कदम नहीं उठाता है। आज पर्यंत इस दिशा में जागरूकता अभियान कभी नहीं चलाए गए, जबकि स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों में सर्पदंश जागरूकता भी शामिल है। विभाग द्वारा लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए, ताकि बैगा-गुनिया के पास न जाकर सीधे अस्पताल पहुंचे।