पुलिस ने पूरे घटना स्थल को सिक्योर करते हुए सीन रीक्रिएशन की प्रक्रिया शुरू की। आरोपी को उसी रास्ते से अंदर ले जाया गया जहां से उसने 8 साल पहले कदम रखा था। एक-एक पल, एक-एक हरकत, सबकुछ उसी क्रम में दोहराया गया। कैसे वह घर में दाखिल हुआ।
डॉक्टर दंपत्ति का आपस में कैसे बहस किस बात पर हुई, कब बात बिगड़ी और कैसे डॉक्टर ने अपनी पत्नी को और फिर आरोपी ने डॉक्टर को कैसे मौत के घाट उतारा। पुलिस हर बिंदु पर ठहरकर आरोपी से पूछ रही थी। यहां क्या किया। किस दिशा में मारा। कब भागा और आरोपी बिना रुके हर सवाल का जवाब दे रहा था जैसे उसे खुद भी अब बोझ हल्का करना हो।
वीडियोग्राफी तकनीकी टीम ने सीन रीक्रिएशन की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफ ी की ताकि न्यायालय में इसे ठोस प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। पुलिस के अनुसार आरोपी के बयान और घटनास्थल के हालातों में काफी मेल पाया गया है। कई नई बातें भी सामने आई हैं जो अब तक की विवेचना में नहीं थी।
साक्ष्य जुटाने के लिए.. इस दौरान घटनास्थल पर पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पुष्पेन्द्र बघेल, एसडीओपी कृष्ण कुमार चंद्राकर और फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की टीम भी मौके पर थी। एफएसएल अधिकारियों ने हत्याकांड से जुड़े तकनीकी साक्ष्य जुटाने शुरू किए। खून के निशान कहां पर थे घटना साथ के पुराने फ ोटोग्राफ से मैच कराया। साथ ही संघर्ष की दिशा, भागने का रास्ता, सबकुछ गहराई से जांचा गया।