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नेशनल हाइवे 30 रायपुर जबलपुर मार्ग पर पांच किलोमीटर की लंबी नागमोरी घाटी है, जिसे मुय रुप से चिल्फीघाटी के नाम से ही जाना जाता है। यह सड़क मार्ग होते ही मध्यप्रदेश के कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, मंडल, जबलपुर सहित अन्य स्थान जाने का प्रमुख मार्ग है। इससे ही दिल्ली, राजस्थान आवागमन के लिए उपयोग किया जाता है। केवल यात्री ही नहीं बल्कि व्यापारिक रुप से यह महत्वपूर्ण मार्ग है।
जबलपुर में बड़े वाहन बनाए जाते हैं लेकिन उन्हें तैयार करने मतलब कव्हर लगाने के लिए रायपुर ही लाया जाता है। बड़ी संख्या में सब्जी भी मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ लाया जाता है। ऐसे में यह मार्ग दोनों राज्य का प्रमुख मार्ग है। चिल्फीघाटी पर जाम की स्थिति बनती है तो केवल
छत्तीसगढ़ के वाहन नहीं बल्कि मध्यप्रदेश की ओर जाने व आने वाली दोनों ओर से वाहनों की कतार लगती है। मतलब छत्तीसगढ़ के साथ मध्यप्रदेश के लोग भी पेरशान रहते हैं। ऐसे में इस समस्या के समाधान के लिए दोनों राज्य शासन को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।
रात में दिक्कतें और बढ़ जाती हैं
समस्या तब और बढ़ जाती है जब जाम की स्थिति रात में निर्मित होती है। कई बार ऐसा हुआ है जब रात में जाम लगा। पुलिस टीम जाम खुलवाने में रातभर लगी रही। इसके चलते सैकड़ों
यात्री, परिवार, ड्राइवर और अन्य लोगों को काफी दिक्कतें हुई। घाटी में किसी तरह की सुविधा नहीं मिल सकती है ऐसे में रात वाहन में गुजरनी पड़ी।
रायपुर-जबलपुर नेशनल हाइवे मार्ग पहले से काफी चौड़ा हुआ है। आए दिन इस पर काम होता है, लेकिन जितना चौड़ा इसे होना चाहिए, उतना हो नहीं पाया। आज भी घाटी काफी सकरा है जहां हैवी वाहनों के निकलने में परेशानी होती है। कोई वाहन बिगड़ गया तो जाम लगना तय रहता है। ऐसे में जहां-जहां घाटी में गुंजाइश है, वहां घाटी को काटकर चौड़ा किया जाना चाहिए। या फिर धीरे-धीरे घाटी के बाजू से पैरलर कोई दूसरी सड़क बनाई जानी चाहिए।
इसमें कई जगह लंबे ब्रिज बनाने पड़ सकते हैं यह बड़ा व कठिन प्रोजेक्ट हो सकता है। इसे कई चरण में पूरा किया जा सकता है। पहले चरण में जहां जगह हो पहाड़ काटकर सड़क बनाई जा सकती है। दूसरा जहां पुल की आवश्यकता है, ऐसे जगह पर पुल का निर्माण कर किस्त में काम किया हो सकता है।