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फिसलकर गिर रहे खिलाड़ी
यहां तक कि ट्रैक की ऊपरी सतह पर कई जगहों गैप हो गया जिससे खिलाड़ी रनिंग करते वक्त फिसलकर घायल हो रहे हैं। कई खिलाडिय़ों को घुटनों और टखनों में गंभीर चोटें आ चुकी हैं। बावजूद इसके, उन्हें अभ्यास जारी रखना पड़ता है क्योंकि प्रतियोगिताएं सिर पर हैं और विकल्प कोई नहीं। स्थानीय खिलाडिय़ों का कहना है पैर फिसलते हैं, बैलेंस बिगड़ता है, कई बार रैकेट छूट जाता है। डर के साथ प्रैक्टिस करना पड़ता है।
कबड्डी और कुश्ती गद्दे हो रहे बेकार
बारिश के पानी से कबड्डी और कुश्ती के गद्दे भीग गए हैं, जिससे वे फफूंद से भर गए हैं। खिलाडिय़ों को त्वचा संबंधी बीमारियों का डर सता रहा है। गद्दों की गंध से भी मुश्किल होती है, लेकिन न कोई कार्रवाई हो रही है, न कोई वैकल्पिक व्यवस्था। बछड़े को बचाने का दुस्साहस चरवाहे को पड़ा भारी, बाघ ने हमला कर उतारा मौत के घाट
बिजली की व्यवस्था भी बनी जानलेवा
रिसते पानी की वजह से बिजली के बोर्डों में करंट आने का खतरा बना हुआ है। दीवारों से पानी बहता हुआ बोर्डों तक पहुंच रहा है, लेकिन न खेल विभाग और न ही जिला प्रशासन मरम्मत के लिए कोई कदम उठा रहा है। यहां के एग्जास्ट फैन भी ठीक से काम नहीं कर रहे। पयाप्त रोशनी की भी व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा खिलाडिय़ों के लिए आने वाली सामग्री भी खराब हो रही है।
फाइलों में फंसा सुधार प्रस्ताव
खेल परिसर की मरम्मत के लिए 1.5 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित किया गया है, लेकिन बजट को स्वीकृति नहीं मिली है। नतीजा यह है कि सुधार कार्य सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है। खिलाड़ी और कोच लगातार प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन न तो खेल विभाग के अधिकारी सक्रिय हो रहे हैं, न ही पुलिस व जिला प्रशासन इस ओर ध्यान दे रहा है। जनप्रतिनिधियों को तो मानो कोई सरोकार ही नहीं है।