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कटनी

दाल मिलर्स को बड़ी राहत: सरकार ने आयातित तुअर पर हटाया मंडी टैक्स

सरकार के निर्णय से मिलर्स में खुशी, लेकिन कहा कि 10 साल पहले लेना था यह निर्णय

कटनीJun 13, 2025 / 09:40 pm

balmeek pandey

भीलवाड़ा में एक किलो दाल के दाम होंगे 60 रुपए

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कटनी. शहर दो दशक पहले तक प्रदेश के लिए तुअर दालमिल का गढ़ था, लेकिन सरकार की नीतियों के चलते आयातित तुअर पर लगभग 25 साल से डबल मंडी टैक्स की मार झेलने के कारण आधा सैकड़ा से अधिक दाल मिलें बंद हो गई हैं कई दूसरे प्रदेशों में शिफ्ट हो गईं हैं। सैकड़ों लोगों का रोजगार छिना है। हालांकि इन सबके बीच दाल मिलर्स के लिए मंगलवार का दिन खुशियों वाला रहा है। डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार ने मंत्रीमंडल में फैसला लेते हुए प्रदेश में आयातित दलहन तुअर पर मंडी टैक्स हटाने का निर्णय लिया है। सरकार के इस फैसले पर मिलर्स में खुशी है। मंडी टैक्स हटाए जाने से एक बार फिर शहर में दाल उद्योग को बढ़ाया मिलेगा व दलहन का निर्यात बढ़ेगा। लोगों को रोजगार मिलेगा। बता दें कि वर्मा, म्यामार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना सहित अन्य प्रदेश से कटनी तुअर आती थी। इसके बाद कटनी की दाल उप्र, बिहार, बंगाल, झारखंड, हरियाणा, जम्मू काश्मीर, उत्तरांचल सहित अन्य प्रदेशों में सप्लाई होती है।

यह हो रही थीं मुश्किलें

शहर की दाल मिलों में दाल बनाने के लिए दूसरे राज्यों से मंगवाए जाने वाले कच्चे माल में लगने वाले मंडी टैक्स ने मिल मालिकों को बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिक पाना बड़ी मुश्किल साबित हो रहा है। 80 से 90 के दशक में कटनी शहर में 250 दाल मिलें संचालित हो रही थीं। इन मिलों में जिले सहित आसपास के जिलों से हजारों लोगों को रोजगार तो मिल ही रहा था साथ ही अन्य कई जिलों के बेरोजगार रोजगार से जुड़े थे। सरकार को भी करोड़ों रुपए के राजस्व की प्राप्ति हो रही थी, लेकिन दोहरे कर (टैक्स) की मार के कारण मिलें ठप हो चली हैं।

यह मिली थी राहत

मई 2023 में 31 मार्च तक के लिए मंडी टैक्स में छूट मिली थी, लेकिन 1 अप्रेल 24 से फिर दोहरा टैक्स लग रहा है, जिसके कारण मिलें भी बंद होने की कगार पर पहुंचने लगी हैं। मैंडी टैक्स में छूट न मिलने के कारण कटनी में 35 मिलें तुअर रनिंग में हैं, लेकिन 50 से अधिक मिलें बंद पड़ी हैं, अन्य दाल मिलों का भी यही हाल है। इसकी मुख्य वजह है मिलर्स को मंडी टैक्स में छूट न मिलना। जानकर ताज्जुब होगा कि मिलर्स साल दर साल कटनी में मिलें बंद होती चली गईं और लोगों का रोजगार छिनता चला जा रहा है। कारोबारी किसी दूसरे काम की ओर रुख कर रहे हैं या फिर कुछ दूसरे प्रदेश छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र आदि में शिफ्ट हो गए। पूर्व में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान, तत्कालीन कृषि मंडी कृषि कमल पटेल द्वारा मंडी टैक्स में छूट की घोषणा की गई थी, लेकिन विभाग के अफसर इस घोषणा पर पूरे समय के लिए अमल नहीं करा पाए थे।
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यह मिली थी राहत

तुअर में मंडी टैक्स में छूट दिए जाने के लिए 25 मई को राजपत्र प्रकाशित किया गया था। क्रमांक/4/1/1/0003/2023-एसइसी-2-14(एजीआर) (पी-185386) मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम, 1972 (क्रमांक 24 सन 1973) की धारा 69 की उप-धारा (1) एवं (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, इस विभाग की अधिसूचना क्रमांक डी-15-11-2005-चौदह-3, दिनांक 01 अगस्त, 2018 जिसका प्रकाशन मध्यप्रदेश राजपत्र में हुआ था, की शर्तों के अधीन, राज्य सरकार, एतद्द्वारा अधिसूचित कृषि उपज तुअर जो कि राज्य के बाहर से आयातित) मंडी क्षेत्र में स्थापित दाल मिलों में लाई गई हो, पर उक्त अधिनियम के अधीन देय मंडी फीस के भुगतान से पूर्णत: छूट प्रदान करती है। मंडी फीस के भुगतान से यह छूट इस अधिसूचना के मध्यप्रदेश ‘राजपत्र’ में प्रकाशन की दिनांक से 31 मार्च 2024 तक प्रवृत्त की गई थी।

ऐसे लग रहा था मंडी टैक्स

जानकारी के अनुसार मिलर्स को दोहरा टैक्स लग रहा है। महाराष्ट्र से कच्चा माल लेने पर वहां पर भी मंडी टैक्स चुकाना पड़ रहा है और फिर जब यह माल मध्यप्रदेश आता है तो यहां पर भी टैक्स चुकाना पड़ता था। एक किलो उपज में एक रुपये 70 पैसे टैक्स दूसरे प्रदेश में और फिर एक रुपए 70 पैसे कटनी में भी टैक्स चुकाना पड़ रहा था। 25 साल से मिलर्स को यह समस्या हो रही थी। अब फिर मिलर्स के सामने वहीं पुरानी समस्या खड़ी हो गई है। मध्यप्रदेश में दाल के लिए कच्चा माल मंगवाने पर तो टैक्स लगता है, लेकिन दूसरे राज्यों से दाल मंगवाने पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं है। हालांकि कारोबारी सभी दलहन पर छूट मिलने की आस में थे।

कलेक्टर ने कही यह बात

दिलीप यादव, कलेक्टर ने कहा कि केबिनेट में आयातित तुअर पर मंडी टैक्स में छूट प्रदान की गई है। इससे कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी। शहर में दाल उद्योग तेजी से बढ़ेगा। इस संबंध में आदेश आते ही पालन कराया जाएगा।

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