किसानों से खरीदी जाएगी पराली और भूसा
कंपनी की योजना है कि वह पराली और भूसा किसानों से 1 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदेगी। साथ ही बांस उत्पादन के लिए स्थानीय किसानों से 500 एकड़ भूमि पर ग्रीन मैन्योर और बांस रोपण के लिए अनुबंध किया जाएगा। इससे किसानों को स्थायी आय और रोजगार प्राप्त होगा।प्रदूषण पर लगेगी रोक, वातावरण होगा शुद्ध
पराली जलाने से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने में यह परियोजना सहायक सिद्ध होगी। कंपनी का कहना है कि पराली जलाना हवा को जहरीला करता है और मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचाता है। इस ग्रीन एनर्जी प्लांट के माध्यम से न केवल वायु प्रदूषण कम होगा, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आमदनी भी मिलेगी।आदिवासी परिवारों को मिलेगा रोजगार, रुकेगा पलायन
कंपनी ने यह भी कहा कि यदि प्रशासन भूमि पट्टे अथवा लीज में मदद करता है तो वह स्थानीय आदिवासियों से 40 वर्षों का अनुबंध कर बांस रोपण और जैविक खाद उत्पादन में उन्हें रोजगार दे सकती है। इससे इन परिवारों का पलायन रुकेगा और स्थानीय स्तर पर सतत विकास संभव होगा।यह है बायोमास
बायोमास जैविक पदार्थों (जैसे पराली, भूसा, लकड़ी, बांस, कचरा आदि) से तैयार की जाने वाली ऊर्जा का स्रोत है। इसे जलाकर बिजली, हीट या बायोफ्यूल तैयार किया जाता है। यह पारंपरिक कोयले और डीजल का हरित (इको-फ्रेंडली) विकल्प है। बायोमास को जलाकर टरबाइन चलाने के लिए भाप बनाई जाती है, जिससे बिजली बनाई जाती है।यह है बायोमास के उपयोग
रसोई गैस: ग्रामीण क्षेत्रों में बायोमास से बायोगैस तैयार कर खाना पकाने में प्रयोग किया जाता है।उद्योगों में: उद्योग बायोमास आधारित बॉयलर का उपयोग भाप उत्पादन व अन्य प्रक्रियाओं में करते हैं।
बायोफ्यूल: बायोमास से एथेनॉल/बायोडीजल तैयार कर वाहनों में प्रयोग किया जा सकता है।