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करौली

किसानों के लिए वरदान बनेगी ढैंचा की खेती, हजारों किसानों को फ्री में मिलेगा बीज, 31 मई तक होगा चयन

सहायक कृषि अधिकारी गुढ़ाचंद्रजी कैलाश चंद्रवाल ने बताया कि भूमि को उपजाऊ बनाने हेतु किसानों को ढैचा बीज मिनिकिट निःशुल्क वितरण किए जाएंगे।

करौलीMay 11, 2025 / 12:54 pm

Santosh Trivedi

cultivation of dhaincha
गुढ़ाचंद्रजी। अधिक उपज के लिए किसान खेतों में अंधाधुंध रासायनिक खादों का उपयोग कर रहा है। इससे भूमि क्षारीय होने के साथ बंजर होने लगी है। ऐसे में लगातार उर्वरक क्षमता कम पड़ने के साथ खेती विषैली हो रही है। इससे शरीर में बीमारियां पनपने लगी है। इसके निदान के लिए विभाग ने किसानों को ढैंचा की खेती करने की सलाह दी है।
इसके लिए विभाग ने पहल करते हुए जिले में 8200 किसानों को इस वर्ष मुफ्त में ढैचा का बीज वितरण करेगा। सहायक कृषि अधिकारी गुढ़ाचंद्रजी कैलाश चंद्रवाल ने बताया कि भूमि को उपजाऊ बनाने हेतु किसानों को ढैचा बीज मिनिकिट निःशुल्क वितरण किए जाएंगे।
किसान लगातार धुआंधार रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशक दवाओं तथा खरपतवार नाशक दवाओं को प्रयोग कर रहा है जिसकी वजह से भूमि की उपजाऊ क्षमता कम हो होती जा रही है और उपजाऊ क्षमता कम होने के साथ भूमि क्षारीय होती जा रही है। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान तो हों ही रहा है साथ ही शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियों ने भी जन्म ले लिया है।

31 मई तक कर करें किसानों का चयन

जिले में ढैचा बीज वितरण के लिए संयुक्त निदेशक कृषि करौली वी डी शर्मा ने ज़िले के सभी सहायक कृषि अधिकारियों को निर्देशित कर 31 मई तक किसानों का चयन कर वितरण के निर्देश दिए हैं।

ढैचा की हरी खाद के लाभ

ढैचा एक दलहनी फसल है। जो भूमि की उर्वरता क्षमता को बढ़ाता है तथा खेत में यूरिया की जरूरत को कम करता है। ढैचा फसल को 40-45 दिन की अवस्था( घुटनों की स्टेज़ पर) पर फूल आते समय खेत में जुताई करके मिट्टी में दबा देना चाहिए। जिससे हरी खाद बन जाती है। हरी खाद में काफी मात्रा में कार्बनिक पदार्थ पाया जाता है। इससे फसलों का उत्पादन बेहतर होता है। भूमि की उर्वरता क्षमता लम्बे समय तक बनी रहती है।
ढैंचा की खेती
इसकी जड़ों पाई जाने वाली गांठों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले सह जीवी जीवाणु राईजोबियम पाएं जाते हैं जो नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते हैं। साथ ही मिट्टी की संरचना में भी सुधार होता है। तथा भूमि कटाव भी कम होता है साथ ही भूमि की जलधारण क्षमता में वृद्धि होती है। क्षारीय भूमि सुधार हेतु ढैचा की हरी खाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ढैचा की हरी खाद पूर्णतः जैविक खाद है।

ऑनलाइन किया जाएगा वितरण

कृषि अनुसंधान अधिकारी करौली हेमराज मीना ने बताया कि राजस्थान किसान पोर्टल के माध्यम से जनाधार के द्वारा किसान से ओटीपी लेकर ऑनलाइन वितरण किया जाएगा तथा सभी सहायक कृषि अधिकारियों निर्देशित किया गया है कि 31 मई तक किसानों का चयन किया जाए तथा इसके लिए किसान के पास 2 बीघा भूमि होनी जरूरी है तथा एक जनाधार कार्ड पर एक ही किसान को लाभ दिया जाएगा साथ ही खेत की स्थिति भी देखी जाएगी हमने ज़िले में सभी सहायक कृषि अधिकारीयों को लक्ष्य आवंटित कर दिए हैं।

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