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कानपुर

नेता और बिजनेसमैन को फंसाओ और ले जाओ मोटी रकम… ऐसे चल रहा था वसूली गैंग, रेप में फंसाती थी लड़कियां

उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक गैंग का खुलासा हुआ है। यह गैंग लोगों से ब्लैकमेलिंग के नाम पर वसूली करता था। पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

कानपुरAug 18, 2025 / 04:44 pm

Avaneesh Kumar Mishra

AI Generated Symbolic Image.

कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक नए गैंग का खुलासा हुआ है। यह गैंग किसी भी प्रकार की कोई चोरी-चकारी या हत्या जैसी वारदात नहीं करता था। मतलब कोई हिंसक कार्य नहीं। लेकिन, यह ऐसा गैंग जो लोगों की इज्जत के साथ खेलता। इस गैंग का काम था नेता और बिजनेसमैन को रेप में फंसाना और इसके लिए लड़कियों को तैयार किया जाता था। लड़कियां कोर्ट तक में झूठी गवाही दे देती और अपना सेट कमीशन ठेकेदार से ले लेती।
कानपुर पुलिस ने झूठे दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के मुकदमे दर्ज कर रंगदारी वसूलने वाले गिरोह के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। इस सिलसिले में वकील अखिलेश दुबे को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है, और अब उसका करीबी सहयोगी शैलेंद्र यादव उर्फ टोनू भी पुलिस की गिरफ्त में है। रविवार को गिरफ्तार किए गए टोनू ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

आरोपियों ने मांगी थी 50 लाख की रंगदारी

पुलिस पूछताछ में टोनू ने स्वीकार किया कि उसने भाजपा नेता रवि सतीजा को झूठे दुष्कर्म केस में फंसाने की साजिश में हाथ था। उसने बताया कि लड़कियों को फर्जी मुकदमों में शामिल करने के लिए 5 से 50 हजार रुपये तक दिए जाते थे। 6 अगस्त को रवि सतीजा ने चकेरी थाने में तहरीर देकर अखिलेश दुबे, लवी मिश्रा, अभिषेक बाजपेई, शैलेंद्र यादव उर्फ टोनू और विमल यादव समेत अन्य पर 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगने का आरोप लगाया था। शिकायत के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू की, जिसमें अखिलेश और लवी पहले ही जेल भेजे जा चुके हैं।

लड़कियों को देता था लालच

पुलिस जांच में सामने आया कि टोनू सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर लड़कियों और महिलाओं से संपर्क साधता था और उन्हें लालच देकर झूठे मुकदमों में गवाही देने के लिए तैयार करता था। रवि सतीजा मामले में उसने अभिषेक बाजपई के साथ मिलकर एक लड़की को इस काम के लिए तैयार किया। पुलिस ने उस महिला तक भी पहुंच बना लिया है, जिसने अपनी नाबालिग बहन के साथ सामूहिक दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाया था। शुरुआती पूछताछ में पता चला कि महिला भी इस सिंडिकेट का हिस्सा थी।

यहां से बढ़ी नजदीकियां

टोनू ने बताया कि साल 2012 में उसके मामा जयहिंद यादव की हत्या के बाद वह वकील अखिलेश दुबे के संपर्क में आया था। 2013 में केस की पैरवी के दौरान दोनों की नजदीकी बढ़ी और टोनू अखिलेश का भरोसेमंद सहयोगी बन गया। पुलिस का मानना है कि यह सिंडिकेट नेताओं, व्यवसायियों और प्रभावशाली लोगों को निशाना बनाकर लंबे समय से सक्रिय था। सांसद अशोक रावत की शिकायत के बाद पुलिस कमिश्नर ने एसआईटी गठित की, जिसने इस रैकेट का पर्दाफाश शुरू किया।
शैलेंद्र यादव की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को पूरे नेटवर्क की कड़ियां जोड़ने में मदद मिली है। उसकी निशानदेही पर कई संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है, और मोबाइल डेटा की जांच जारी है। पुलिस का दावा है कि आने वाले दिनों में और नाम सामने आ सकते हैं। टोनू मूलरूप से शिवराजपुर के सखरेज गांव का रहने वाला है और बर्रा के सचान चौराहा स्थित सोना मेंशन में रहता था।

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