उत्तर प्रदेश के कानपुर केडीए कॉलोनी में सोमनाथ उपाध्याय के नाम एक मकान था। जिनकी मृत्यु 24 सितंबर 2011 को हो गई। इसके बाद यह मकान उनकी पत्नी रेणु उपाध्याय और उनके तीन बेटों के नाम आ गया। जिनमें उपदेश, स्वतंत्र और स्वदेशी शामिल है। 24 अप्रैल 2024 को रेनू उपाध्याय की भी मृत्यु हो गई। नियमानुसार यह मकान उपदेश, स्वतंत्र और स्वदेशी के नाम दर्ज हो गया। तीनों भाइयों ने 31 मई 2024 को उक्त मकान को नीरज गुप्ता को दे दिया। जिसकी उन्होंने पावर ऑफ अटॉर्नी भी कर दी। नीरज गुप्ता मकान की रजिस्ट्री के लिए तब से लगातार भाग-दौड़ रहे हैं।
क्या कहते हैं नीरज गुप्ता?
नीरज गुप्ता ने बताया कि कानपुर विकास प्राधिकरण के ओएसडी अजय कुमार एक छोटे मकान की रजिस्ट्री के लिए उन्हें दौड़ा रहे हैं। इस संबंध में केडीए के उपाध्यक्ष सहित अन्य अधिकारियों से शिकायत की। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने डीएम से शिकायत की। जिसके बाद उनसे कड़ा में 30 हजार रुपए रिश्वत मांगी गई। जिसे देने से उन्होंने इंकार कर दिया। फिर उन्होंने सोचा कि दो नंबर की रिश्वत को एक नंबर में जिलाधिकारी के माध्यम से दिया जाए। उन्होंने अजय कुमार के नाम चेक और 30 हजार रुपए भर के डीएम साहब को दे दिया और निवेदन किया कि इसे केडीए के ओएसडी अजय कुमार तक पहुंचा दिया जाए। जिससे उनके मकान की रजिस्ट्री हो जाए।
दिए गए जांच के आदेश
डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने पूरे घटनाक्रम को समझा और जांच के आदेश दिए हैं। इस संबंध में केडीए के ओएसडी अजय कुमार ने बताया कि उनके पास नीरज गुप्ता नाम की कोई फाऊ नहीं है। उनके ऊपर जो भी आरोप लगाए गए हैं वह गलत है। मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।