Ration Card: ऐसे में भूखे रहने की आ सकती है नौबत
राशन दुकान तो गांव गांव में होती है ऐसे में जनता को भूखे रहने की नौबत आ सकती है। न केवल गांव में बल्कि शहर में भी ओटीपी नंबर आने में एक दिन लग जाते हैं। लोग झोला लिए दिन भर राशन दुकान के सामने बैठे रहते हैं। कई लोगों को तो चार दिन बाद राशन मिला है। ग्राहकों तथा दुकानदारों दोनों का कहना है की फिंगरप्रिंट वाला सिस्टम ही ठीक था जिसमें 30-40 ग्राहक प्रतिदिन निपटाए जा सकते थे। अब हाल यह है कि चार-पांच लोगों का ही नंबर आ पाता है। छत्तीसगढ़ सरकार को चाहिए कि फिंगरप्रिंट सिस्टम ही लघु रखें अथवा दोनों प्रकार के सिस्टम मान्य किए जाएं जिससे दिन भर में अधिक से अधिक उपभोक्ताओं को राशन मिल सके। जो लोग भोजन के लिए राशन दुकान के अनाज पर ही निर्भर हैं उन्हें तो भूखा मरना पड़ेगा। अभी से यह हालत हो गई है कि राशन कार्ड जमा करने के बाद 4 दिन में नंबर आएगा या आठ दिन भी लग सकते हैं।
एक शिकायत यह भी है कि विगत 8 महीनों से राशन दुकानों में केरोसिन नहीं मिल रहा है जो गांवों के लिए अत्यंत आवश्यक वस्तु है। शासन को चाहिए कि ओटीपी का सिस्टम बदलने के साथ-साथ लोगों के लिए मिट्टी तेल उपलब्ध कराना भी सुनिश्चित करें।