CG News: हाइवा के ड्राइवर गाड़ी छोड़कर मौके से फरार
शुक्रवार आधी रात वे दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ तासी पहुंचे। गांववालों को साथ लिया और सीधे घाट पहुंच गए। बताते हैं कि रात 12 बजे उन्हें यहां तकरीबन 10 से 11
हाइवा घाट किनारे खड़े मिले। 2 में रेत लोड हो चुका था। बाकियों में चोरी की रेत भरने करने का काम जारी था। भाजपा के बैनर-झंडे लगी गाड़ियां देखते ही हाइवा के ड्राइवर गाड़ी छोड़कर मौके से फरार हो गए।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने रात के अंधेरे में घाट की ओर लाइट मारी, तो चेन माउंटेन मशीन खड़ी मिली। पूरे प्रदेश में नदी घाटों पर इस मशीन का इस्तेमाल प्रतिबंधित है। इसी के आसपास कुछ आदमी थे। अध्यक्ष समेत सारे कार्यकर्ता उसी ओर गए। वहां मौजूद लोगों से पूछा कि इतनी रात घाट में क्या कर रहे हो? वे लोग उन्हीं से पूछने लगे कि तुम सब यहां क्या कर रहे हो?
अध्यक्ष समेत कार्यकर्ताओं ने फिर जोर देकर पूछा कि किसकी मंजूरी से आधी रात रेत निकाल रहे हो, तो वही जवाब मिला कि भाजपा के आदमी हैं। जिलाध्यक्ष की मंजूरी से रेत निकाल रहे हैं। महेश जैन ने रात के रेत तस्करों को जब वाकई अपना नाम लेते सुना तो उनके भी होश फाख्ता हो गए।
जैन ने चेताया- ये सब बंद न किया तो प्रदर्शन
भाजपा जिलाध्यक्ष महेश जैन ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि चारामा ब्लॉक के और भी कई घाटों में रेत का अवैध खनन और परिवहन जारी है। भाजपा का नाम लेकर काला कारोबार चलाने की शिकायत उन तक पहुंच गई। जिस माइनिंग विभाग पर खनिजों की जिम्मेदारी है, उसे ये सब पता नहीं चलता?
दरअसल, अफसर सब जानते हुए भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर अब सीधे कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर से मुलाकात करेंगे। कलेक्टर ने ध्यान नहीं दिया तो कार्यकर्ताओं के साथ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अफसरों की मिलीभगत से चल रहे तस्करी के इस कारोबार पर जल्द से जल्द रोक लगनी चाहिए।
एसडीएम, तहसीलदार ने फोन नहीं उठाया
CG News: इलाके में आधी रात रेत चोरी और सत्ता में बैठी
भाजपा की सरकार को बदनाम करने वाली हरकत का पर्दाफाश होते ही कार्यकर्ता भड़क उठे। अध्यक्ष ने उन्हें समझाया कि कानून अपने हाथ में न लें। जैन ने मौके से ही इलाके के एसडीएम और तहसीलदार को फोन कॉल किया। लंबे वक्त तक उनकी ओर से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला।
ऐसे में पकड़े गए लोगों को मजबूरन छोड़कर अध्यक्ष, कार्यकर्ताओं को लौटना पड़ा। अगले दिन यानी शनिवार सुबह भी किसी अफसर ने जिलाध्यक्ष को कॉलबैक कर यह जानने की जहमत नहीं उठाई कि आखिर मामला क्या था? लगातार शिकातयों के बाद कार्रवाई नहीं। फिर इस हरकतों से लोगों में संदेह और पुख्ता हो रहा है कि इलाके में जारी रेत चोरी को सीधे प्रशासन का संरक्षण है।