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जोधपुर

Snake Bite: राजस्थान के इस जिले में हर दिन 6 लोगों को डस रहा है सांप, ऐसे बचा सकते हैं अपनी जान, यहां जानें

ग्रामीण क्षेत्रों में झाड़-फूंक व अन्य उपचार के चक्कर में आज भी करीब 10 से 20 प्रतिशत मरीज पहले अस्पताल नहीं पहुंचते। जब स्थिति बिगड़ती है तो स्वास्थ्य सेवाओं का सहारा लेते हैं।

जोधपुरAug 05, 2025 / 03:33 pm

Rakesh Mishra

Snake Bite

अस्पताल में भर्ती स्नेक बाइट की मरीज। फोटो- पत्रिका

राजस्थान के जोधपुर जिले में हर दिन छह लोगों को सांप डंस रहा है। यह आंकड़ा थोड़ा अचरज करने वाला है, लेकिन सत्य है। पहली बारिश के साथ सांपों के काटने के मामले शुरू हो जाते हैं। जून और जुलाई माह में 376 लोगों को सांप ने काटा है। इनमें एक व्यक्ति का अब तक दम भी टूटा है।

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स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सांप काटने के बाद मामले लगातार बढ़ रहे हैं। फील्ड में 10 हजार इंजेक्शन दे रखे हैं, जबकि जिला स्तर पर स्टॉक में 10,315 वैक्सीन का स्टॉक मौजूद है। इसके बावजूद ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में उपचार तक समय पर पहुंचना अब भी चुनौती बनी हुई है। सांप काटने के बाद इसके उपचार के लिए लगने वाले एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन का स्टॉक तो उपलब्ध है, लेकिन बड़े अस्पतालों तक पहुंचना ही कई बार चुनौती बन जाता है।

लोहावट में 8 मामले

लोहावट उपखण्ड क्षेत्र में भी सर्पदंश के कई मामले सामने आए है। जिसको लेकर जिला अस्पताल में उपचार के लिए एंटी वेनम की व्यवस्था की हुई है। लोहावट जिला अस्पताल के पीएमओं डॉ. प्रदीप विश्नोई ने बताया कि पिछले जुलाई माह में सर्पदंश के कुल 8 मामले आए। जिनमें उनका उपचार किया गया। अस्पताल में एएसवी (एंटी स्नैक वेनम) का भी स्टॉक पर्याप्त है।
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आऊ क्षेत्र के उप-जिला अस्पताल में पिछले दो माह में ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी संजय सिंह चम्पावत ने बताया कि आऊ एवं घंटियाली तहसील क्षेत्र से 15 सर्पदंश के रोगी पहुंचे और उच्च स्तरीय जांच करके उनका इलाज किया।

बिलाड़ा में 1 मौत

वहीं बिलाड़ा चिकित्सालय प्रभारी डॉ. ताराचंद रामावत ने बताया कि इन दो महीने मे बारह केस आए हैं, जिनमें से एक की मौत हुई। कस्बे के श्री मरुधर केशरी उपजिला चिकित्सालय सहित ट्रोमा सेंटर में एंटीवेलम उपलब्ध है। कार्यवाहक ब्लॉक सीएमएचओ ने बताया कि बिलाड़ा व बिनावास में दो 108 एंबुलेंस है।
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सीएचसी में उपचार मगर दूरी ज्यादा

स्नेक वैक्सीन लगाने का उपचार सीएचसी स्तर के अस्पतालों में होता है, लेकिन फलोदी, लोहावट, बाप, देणोक, शेरगढ़ क्षेत्र में कई ढाणियां हैं, जहां से सीएचसी की दूरी ही इतनी है कि वहां पहुंचने में समस्या आती है। हालांकि ग्रामीण स्तर पर एम्बुलेंस सेवा दी गई है, लेकिन इसके बावजूद पहुंचने में देरी हो जाती है।
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अभी 20 प्रतिशत नहीं पहुंचते अस्पताल

ग्रामीण क्षेत्रों में झाड़-फूंक व अन्य उपचार के चक्कर में आज भी करीब 10 से 20 प्रतिशत मरीज पहले अस्पताल नहीं पहुंचते। जब स्थिति बिगड़ती है तो स्वास्थ्य सेवाओं का सहारा लेते हैं। जबकि चिकित्सा विभाग का यह दावा है कि जो सर्प दंश के कुछ घंटों में ही अस्पताल पहुंचते हैं उनका उपचार समय पर कर दिया जाता है।

इलाज कैसे होता है

एंटी स्नेकवेनम इंजेक्शन से सांप काटने का उपचार किया जाता है। इसकी मात्रा का निर्धारण सांप की प्रजाति, मरीज के लक्षण और रक्त परीक्षण (विशेषकर किडनी की कार्यक्षमता) के आधार पर किया जाता है।

ऐसे बचाए जान

सर्पदंश से पीड़ित मरीज को शांत रखें और कम से कम हिलने-डुलने दें, जिससे जहर शरीर में तेजी से न फैले। काटे गए हिस्से को हमेशा दिल से नीचे की तरफ रखें। झाड़-फूंक या देसी इलाज पर भरोसा ना करें। तुरंत अस्पताल पहुंचे। ध्यान दें एंटीवेनम ही सर्पदंश का इकलौता प्रभावी इलाज है।

विशेष अभियान चलाया

सर्पदंश के मामलों के खिलाफ हमने विशेष अभियान चलाया था। हमारे पास एएसवी का स्टॉक पर्याप्त है।

  • डॉ. एसएस शेखावत, सीएमएचओ

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