दस माह मिलेंगे
विभाग की ओर से केयर अटेंडेंट की नियुक्ति फिलहाल दस महीने के लिए करने की योजना बनाई है। इनका कार्य दिव्यांग विद्यार्थियों की स्कूल में मदद करना रहेगा। इस संबंध में दिव्यांग छात्र-छात्रा और उनके अभिभावक लंबे समय से केयर अटेंडेंट की मांग कर रहे थे। इसके बाद सरकार ने बजट में इसकी घोषणा की थी। अटेंडेंट की नियुक्ति के बाद इससे दिव्यांग विद्यार्थियों को और बेहतर तरीके से सम्बलन मिल सकेगा। जहां दिव्यांग छात्र-छात्राओं की संख्या ज्यादा केवल वहीं इनकी नियुक्ति की जाएगी।
ऐसे होगा केयर अटेंडेट का चयन
केयर अटेंडेंट के चयन के लिए स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से गाइडलाइन जारी की है। इसमें आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की आयु सीमा 40 साल तय की है। वहीं विशेष शिक्षा में डिप्लोमा धारी युवाओं को प्राथमिकता मिलेगी। अभ्यर्थियों का भारतीय पुनर्वास परिषद में पंजीयन भी आवश्यक है।
नामांकन में हो सकेगा इजाफा
एक्सपर्ट का कहना है कि दिव्यांग विद्यार्थियों को स्कूल आने-जाने में भी काफी परेशानी होती है। वहीं दिव्यांग विद्यार्थियों को केयर अटेंडेंट नहीं होने की वजह से पूरी देखभाल भी नहीं होती है। अब विभाग की ओर से दस अधिक नामांकन वाले स्कूलों में केयर अटेंडेंट का नवाचार करने से नामांकन में बढ़ोतरी होने की आस है। अधिकांश अभिभावक निजी स्कूलों की तरफ रुख करते हैं, जबकि सरकारी में कम पैसों में अच्छी पढ़ाई का दावा किया जाता है।
यह रहेगा कार्य
राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद राज्य परियोजना निदेशक एवं आयुक्त अनुपमा जोरवाल ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार केयर अटेंडेंट विद्यालय के (सीडब्ल्यूएसएन) बालक-बालिकाओं की स्वच्छता का ध्यान रखेंगे। साथ ही उनकी पाठ्यक्रम गतिविधि में भाग लेने में सहयोग करेंगे। -बालक-बालिकाओं को घर से विद्यालय एवं विद्यालय से घर आने-जाने में अपेक्षित सहयोग करेंगे। -यह मिड-डे-मील में बच्चों का सहयोग करेंगे, ताकि बालक-बालिका शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहें। -केयर अटेंडेंट विद्यालय में विद्यार्थियों के ठहराव सुनिश्चित करेंगे। साथ ही आस-पास एरिया में अगर कोई सीडब्ल्यूएसएन बच्चा हो तो उन्हें विद्यालय से जोड़ने का कार्य करेंगे। -यह विद्यालय शिक्षक से सपर्क स्थापित कर बच्चों के शैक्षणिक एवं सहशैक्षणिक गतिविधियों में सहयोग प्रदान करेंगे।