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रीयल हीरो: कमांडेंट अशोक यादव, जिनको पांचवीं बार मिलेगा वीरता पदक, पढें पूरी कहानी 

कमांडेंट अशोक कुमार अपनी टीम के साथ माओवादियों से मुकाबला करते रहे। घायल थाना प्रभारी को लगभग 80 किलोमीटर जिला अस्पताल में पहुंचाकर उनकी जान बचाई ।

झुंझुनूAug 15, 2025 / 03:22 am

Rajesh

ashok kumar


अधिकांश लोग इतिहास पढ़ते हैं, कुछ खुद इतिहास बनाते हैं। ऐसी ही वीरता के लिए चर्चित सीआरपीएफ के कमांडेंट 210 कोबरा बटालियन में तैनात अशोक कुमार यादव को राष्ट्रपति ने पांचवीं बार वीरता पदक देने की घोषणा की है। 16 अक्टूबर 2022 को छत्तीसगढ़ के थाना तर्रेम पर अचानक किए गए माओवादी हमले में थाना प्रभारी राकेश सूर्यवंशी को तीन गोलियां लगी थी तथा वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे । ऐसी परिस्थिति में कमांडेंट अशोक 10 किलोमीटर दूर से चलकर इनके पास पहुंचे। रास्ते में माओवादियों ने घात लगाकर बम बलास्ट कर दिया। अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी । इस हमले में यादव का वाहन बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया एवं उनकी जान बाल-बाल बची । इतनी मुश्किल परिस्थिति के बावजूद कमांडेंट अशोक कुमार अपनी टीम के साथ माओवादियों से मुकाबला करते रहे। घायल थाना प्रभारी को लगभग 80 किलोमीटर जिला अस्पताल में पहुंचाकर उनकी जान बचाई ।

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रसूलपुर गांव में जन्मे

राजस्थान के झुंझुनूं जिले के पचेरी कलां के निकट रसूलपुर गांव में जन्मे यादव ने बताया कि उसे आगे बढ़ाने में मां भगवती देवी, पिता शिव प्रसाद, बड़े भाई याद राम का विशेष योगदान रहा। यादव गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, तत्कालीन पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, मायावती, फारूख अब्दुला, चंद्रबाबू नायडू, गुलाम नबी आजाद की सुरक्षा में रह चुके हैं। शेखावाटी में युवा इनको रीयल हीरो के नाम से पुकारने लगे हैं। 

पहला वीरता पदक:

14 अक्टूबर, 2000 को सीआरपीएफ में अधिकारी पद पर नियुक्त हए यादव ने वर्ष 2007 के दौरान जम्मू और कश्मीर के सोपोर में पदस्थ रहते हुए आतंकियों के हैंड ग्रेनेड से घायल होने के बावजूद 02 पाकिस्तानी आतंकवादियों को ढ़ेर कर दिया और 150 से अधिक निर्दोष नागरिकों की जान बचाई । इस पर वर्ष 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने प्रथम ‘वीरता पुलिस पदक’ प्रदान किया।

दूसरा वीरता पदक:

वर्ष 2015-16 में छत्तीसगढ़ थाना क्षेत्र के तुमरेल जंगल में चलाए गए एक नक्सल विरोधी अभियान में चार दिनों तक जंगल में रहकर 80 किलोमीटर से अधिक पैदल चलकर चार माओवादी कमांडरों को ढ़ेर करने वाली टीम का नेतृत्व किया। तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने वर्ष 2017 में दूसरी बार ‘वीरता पुलिस पदक’ से सम्मानित किया।

तीसरा वीरता पदक:

भट्टीगुड़ा के जंगलों में जनवरी 2017 में चलाए गए माओवादी को मारकर सुरक्षा बलों से लूटे गए लाइट मशीन गन (एल.एम.जी.) हथियार बरामद करने में सफलता प्राप्त की। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने वर्ष 2018 में तीसरी बार ‘वीरता पुलिस पदक’ प्रदान किया।

चौथा वीरता पदक

बीजापुर-दंतेवाड़ा की सीमा पर स्थित पीडिया क्षेत्र में वर्ष 2017 बम ब्लास्ट के हमले में कोबरा के तीन जवानों के गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद तीन माओवादियों को मार गिराया व हथियार गोला-बारूद बरामद किया। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने वर्ष 2020 में चौथी बार वीरता पदक से सम्मानित किया।

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