झुंझुनूं में ईट राइट का पहला प्रमाण पत्र रानी सती मंदिर को मिला है। अब इसकी कतार में पिलानी का प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान, सैनिक स्कूल और अन्य संस्थान भी तैयारी कर रहे हैं। इनके अलावा चूरू के प्रसिद्ध सालासर बालाजी मंदिर के प्रसाद को भी यह प्रमाण पत्र मिल चुका। इसकी शुरुआत जयपुर के प्रसिद्ध मोती डूंगरी गणेश मंदिर व खोले के हनुमान जी मंदिर से हुई थी।
जून के पहले सप्ताह तक राजस्थान के 41 धार्मिक स्थलों को यह प्रमाण दिए जा चुके हैं। सीए मनीष अग्रवाल ने बताया कि रानी सती मंदिर को जिले का पहला ईट राइट प्रमाण पत्र जारी होना यह साबित करता है कि यहां शुद्धता पर पूरा ध्यान दिया जाता है।
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खाद्य निरीक्षक महेंद्र चतुर्वेदी और रतन सिंह गोदारा ने बताया कि भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से यह प्रमाण पत्र दिया जाता है। इसके लिए दिल्ली से एक्सपर्ट की टीम संबंधित जगह आती है। तय मानकों के अनुसार जायजा लेती है। मानकों पर खरा उतरने पर दो साल के लिए यह प्रमाण पत्र जारी करती है। दोबारा रिन्यू कराने के लिए फिर से टीम जायजा लेगी।
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक टीम पहले जायजा लेती है। इसके बाद ईट राइट का प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। रानी सती मंदिर को पहला ईट राइट (वर्षिप) का प्रमाण पत्र जारी किया गया है। ईट राइट अभियान के दूरगारी परिणाम के लिए जनमानस में जागृति लाने के लिए संस्थानों, पूजा स्थलों, मंदिरों, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर प्रमाणीकरण किया जा रहा है।
-डॉ. सीएल गुर्जर, सीएमएचओ (झुंझुनूं)
यह हैं मानक
-कोई भी खाद्य सामग्री अवधि पार नहीं हो तथा तय मानकों के अनुरूप हो।
-साफ-सफाई बेहतर हो।
-तय मानकों के अनुसार गंदगी का निस्तारण हो, जिनमें अपशिष्ठ पदार्थ रखा है वे ढके हुए और तय दूरी पर हो।
-एक ही तेल का बार-बार उपयोग न हो।
-तैयार प्रसाद ढका हुआ हो।
-बनाने वाले व ग्राहक को देते समय तय एसओपी की पालना की जाए।
-बनाने के लिए आरओ पानी का उपयोग किया जाए।