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राजस्थान के लोहार्गल की कैरी के अचार के विदेशी भी है दीवाने, जानें इसके अनूठे स्वाद की खासियतें

Rajasthan News : राजस्थान के लोहार्गल की कैरी अपने खास स्वाद और खटाई के लिए जानी जाती है। कैरी के अचार के विदेशी भी है दीवाने, जानें इसके अनूठे स्वाद की खासियतें।

झुंझुनूMay 16, 2025 / 02:18 pm

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan Lohargal Pickle Mango Foreigners are also Crazy know Specialties of its Unique Taste
विकास योगी
Rajasthan News :
उदयपुरवाटी। राजस्थान का पौराणिक तीर्थस्थल लोहार्गल। लोहार्गल जहां अपने धार्मिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध है, वहीं यहां की कैरी (अमिया) भी विशेष पहचान रखती है। खासकर इसका बना अचार, जो अपने अनूठे स्वाद के लिए शेखावाटी ही नहीं, बल्कि समूचे उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी राजस्थान में चाव से खाया जाता है। हालांकि देश के कई राज्यों में कैरी की पैदावार होती है, लेकिन लोहार्गल की कैरी अपने खास स्वाद और खटाई के लिए जानी जाती है। यहां की कैरी की खासियत है इसकी रेशेदार जाली, जो अचार के मसाले को भीतर तक समाहित कर लेती है, जिससे अचार लंबे समय तक टिकाऊ और स्वादिष्ट बना रहता है। लोहार्गल में स्थित गुर्जरों की ढाणी व लोहरड़ा के अलावा चिराना और किरोड़ी की कैरी में यही विशेषता पाई जाती है। चिराना और किरोड़ी की कैरी का अचार भी लोहार्गल की कैरी के बराबर स्वादिष्ट माना जाता है।

विदेशों तक पहुंची पहचान

आज लोहार्गल का अचार न केवल राजस्थान बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों और विदेशों तक भी पहुंच चुका है। बड़ी संख्या में शेखावाटी निवासी खाड़ी देशों व अन्य देशों में प्रवास करते हैं, और उनके साथ यह अचार भी विदेश यात्रा पर निकलता है। यह स्वाद की याद को बनाए रखने का माध्यम बन गया है।

क्यों खास है यह अचार?

1-लोहार्गल की कैरी की जाली में मसाला और तेल पूरी तरह रम जाता है, जिससे अचार जल्दी खराब नहीं होता।
2-सामान्यत: अचार 1-2 महीने में खराब हो जाता है, लेकिन लोहार्गल की कैरी का अचार 8-10 महीने तक टिकाऊ रहता है।
3-इसकी संरचना में मौजूद प्राकृतिक रेशे और स्थानीय मौसम भी इसे खास बनाते हैं।

रोज़गार का नया जरिया

कैरी का अचार अब इस क्षेत्र में एक लघु उद्योग का रूप ले चुका है। एक मण अचार की प्रक्रिया में 4-5 लोगों को रोजगार मिल जाता है, तोड़ाई से लेकर बिक्री तक। आर्थिक मंदी के दौर में यह क्षेत्रवासियों के लिए स्थायी आमदनी का साधन बन रहा है।

पैदावार में कमी, भाव में तेजी

बीते वर्षों में कैरी की पैदावार में धीरे-धीरे कमी आई है, जिससे देशी कैरी के भाव में वृद्धि हुई है। इसका लाभ उठाकर कुछ व्यापारी बाहरी कैरी बेचने लगे हैं। असली लोहार्गल की कैरी इस समय थोक में 75-80 रुपए प्रति किग्रा. तथा खुदरा में 85-100 रुपए प्रति किग्रा. के बीच बिक रही है।

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