बस सारथी योजना में कार्यरत लोगों को लगभग 11 से 13 हजार रुपए मासिक मानदेय मिलता है। ऊपर से यात्री राजस्व उगाही का टारगेट और टिकटिंग में मामूली चूक पर ब्लैकलिस्ट करने जैसी सख्त शर्तें उनके लिए भारी पड़ रही हैं। इसके उलट सिविल डिफेंस स्वयंसेवकों को करीब 24 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय बिना किसी टारगेट के दिया जा रहा है। यही कारण है कि युवा अब इस दिशा में अधिक आकर्षित हो रहे हैं।
सख्ती से बिगड़े हालात-
टिकट चोरी रोकने के प्रयास में बीते पांच माह में रोडवेज ने प्रदेशभर में बड़ी कार्रवाई की है। इस दौरान 200 से अधिक परिचालक सस्पेंड और 300 से अधिक बस सारथी ब्लैकलिस्ट किए गए, लेकिन फिर भी अपेक्षित सुधार नहीं हुआ। अब प्रदेशभर में 250 सिविल डिफेंस कर्मियों को उतारा गया है। हालांकि इनके खिलाफ भी अनियमितताओं की शिकायतें आने लगी हैं।
बिना टिकट यात्रा बना सबसे बड़ा संकट-
रोडवेज में राजस्व की रीढ़ टिकटिंग व्यवस्था है। चैकिंग बढऩे से इसमें थोड़ा सुधार तो हुआ, लेकिन जब तक बिना टिकट यात्रा पर लगाम नहीं लगती, रोडवेज की आर्थिक सेहत सुधरना मुश्किल है।
बड़ा बदलाव, पर घोषणा नहीं-
गौरतलब है कि रोडवेज ने बिना किसी आधिकारिक घोषणा के बस सारथियों की संख्या घटाकर सिविल डिफेंस को विकल्प के तौर पर अपना लिया है। यह निर्णय बड़ा है, लेकिन इससे जुड़े कई सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं।
दो व्यवस्थाएं, दोहरे मानक-
पैरामीटर बस सारथी सिविल डिफेंस स्वयंसेवक मानदेय 11-13 हजार लगभग 24 हजार राजस्व लक्ष्य हाँ नहीं ब्लैकलिस्टिंग का खतरा अधिक बहुत कम सुरक्षा-सुविधाएं न्यूनतम अपेक्षाकृत बेहतर
हमारा भी वेतन बढ़ाएं सरकार-
झालावाड़ रोडवेज में पिछले 15-20 वर्षों से सेवा दे रहे कुछ बस सारथियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वे वर्षों से रोडवेज से जुड़े हैं, लेकिन हर महीने सिर्फ 11-12 हजार रुपए में परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। हमारे पास कोई सुरक्षा नहीं कोई स्थायित्व नहीं। अब जब सिविल डिफेंस को इतना बेहतर भुगतान दिया जा रहा है तो फिर उनके साथ यह भेदभाव क्यों। ”यह सही है कि सिविल डिफेंस का कोई राजस्व लक्ष्य तय नहीं है, लेकिन उन्हें भी राजस्व में सहयोग के लिए प्रेरित किया जाता है। बस सारथियों को 35 रुपए प्रति किलोमीटर का टारगेट दिया जाता है। सिविल डिफेंस कर्मियों को नियमानुसार मानदेय दिया जा रहा है।
पवन सैनी, मुख्य प्रबंधक राजस्थान रोडवेज डिपो झालावाड़