बिना पर्ची के धड़ल्ले से बिक रही है दवाइयां
गौरतलब है कि झाबुआ जिले में 350 से ज्यादा मेडिकल स्टोर हैं। नियमानुसार किसी भी मरीज को बिना प्रिस्क्रिप्शन के दवाई नहीं दी जा सकती। हालांकि इस नियम का कहीं भी पालन नहीं किया जा रहा। शुक्रवार को झाबुआ में हुए घटनाक्रम में भी यह बात स्पष्ट तौर पर सामने आई। सबसे ज्यादा खराब स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों की हैं। वहां पर मेडिकल स्टोर तो है, लेकिन क्वालीफाइड डॉक्टर्स नहीं है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य रूप से बीमार होने पर लोग मेडिकल स्टोर से सीधे दवाई ले लेते हैं। यह भी पढ़े –
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डॉक्टर पूरी मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद दवाई लिखते हैं। इसमें ब्लड प्रेशर, शुगर और अन्य मेडिकल कंडीशंस देखी जाती है। जबकि मेडिकल स्टोर से मरीज को उसके लक्षण के आधार पर दवाई दे दी जाती है। कई बार ये दवाएं शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकती है। लोग कई बार कुछ इंजेक्शन या कफ सीरप भी बिना प्रिस्क्रिप्शन के खरीद लेते हैं।
सभी मेडिकल स्टोर संचालक को निर्देश जारी
जिले में 374 मेडिकल कॉलेज हैं। सभी स्टोर संचालकों को निर्देश जारी किए हैं कि वे बिना प्रिस्क्रिप्शन के किसी को दवाई न दें। प्रिस्क्रिप्शन का फोटो अपने मोबाइल में रिकॉर्ड के बतौर रखें।-गीतम पाटोदिया, ड्रग इंस्पेक्टर, झाबुआ यह भी पढ़े –
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आजकल देखने में आया है कि लोग गूगल पर सर्च कर खुद ही डॉक्टर बन जाते हैं और मेडिकल स्टोर से सीधे दवाई ले लेते हैं। यह बेहद खतरनाक है। दवाएं शरीर को फायदा करती हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप डॉक्टर को चेकअप कराने के बाद ही दवाई लें। गलती से यदि दवाई का ओवरडोज हो जाए तो इससे गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंच सकता है। लीवर और किडनी खराब हो सकते हैं या फिर गंभीर एलर्जी हो सकती है।
आजकल देखा गया है कि हल्का बुखार या सिरदर्द होने पर लोग एंटीबायोटिक दवा लेते हैं। कई लोग तो अपने पास हमेशा इन दवाओं को रखते हैं और थोड़ी सी तकलीफ में ही पेन किलर लेने लगते हैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। सिरदर्द, सर्दी-जुकाम या पेट दर्द होने पर कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह के दवा नहीं लेनी चाहिए। कई बार दवाई का रिएक्शन होने का खतरा रहता है। – डॉ. एमएस किराड़, एमडी मेडिसिन, जिला अस्पताल, झाबुआ