इलाज से इनकार बना बवाल की वजह
घटना की शुरुआत शुक्रवार शाम एक घायल किन्नर के इलाज से इनकार से हुई। पीड़िता का आरोप है कि मोहल्ले में जमीन विवाद के चलते उसके साथ मारपीट और यौन उत्पीड़न हुआ। जब वह अस्पताल इलाज के लिए पहुंची तो डॉक्टरों ने इलाज से इनकार कर दिया और वहां से भगा दिया। पीड़िता के अनुसार पुलिस ने भी उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की।
गुरु किन्नर ने बुलाई पूरी टोली
शाम सात बजे पीड़िता ने अपनी आपबीती गुरु किन्नर अक्षिता को सुनाई। अक्षिता ने बताया कि जब उन्हें घटना की जानकारी हुई तो उन्होंने सभी साथी किन्नरों को इकट्ठा किया। उनका आरोप है कि इमरजेंसी वार्ड में तैनात डॉक्टर पवन सिंह ने पीड़िता को इलाज से पहले FIR की शर्त रख दी और गाली-गलौज कर स्टाफ ने बाहर निकाल दिया। रात लगभग नौ बजे 20 से 25 किन्नर जिला अस्पताल पहुंचे और सीधे इमरजेंसी वार्ड में घुस गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उन्होंने कपड़े उतारकर विरोध जताया और डॉक्टर पवन सिंह पर हमला कर दिया। बचाव में आए नर्सिंग ऑफिसर आशीष सिंह, वार्डबॉय अमित सिंह और एक फार्मासिस्ट को भी चोटें आईं।
डर के साए में मरीज और तीमारदार
किन्नरों के हमले और चीख-पुकार के चलते इमरजेंसी वार्ड में भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। मरीज और उनके परिजन इलाज छोड़कर बाहर की ओर भाग खड़े हुए। पूरे घटनाक्रम के दौरान सुरक्षा व्यवस्था नाकाम साबित हुई, क्योंकि मौके पर सिर्फ दो गार्ड तैनात थे, जो भारी भीड़ को नियंत्रित नहीं कर सके।
प्रशासन ने कहा- बर्दाश्त नहीं किया जाएगा हमला
सीएमएस डॉ. केके राय ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि अस्पताल स्टाफ पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने पूरी घटना की रिपोर्ट तैयार कर पुलिस को सौंप दी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। घटना के बाद डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ में भारी रोष है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अस्पताल की सुरक्षा में सुधार नहीं हुआ तो वे कार्य बहिष्कार पर जाएंगे। डॉक्टरों ने कहा, “हम इलाज करने के लिए हैं, मार खाने के लिए नहीं।”
एसपी सिटी आयुष श्रीवास्तव ने घटना को गंभीर बताया और कहा कि सीसीटीवी फुटेज की मदद से दोषियों की पहचान की जा रही है। कोतवाली प्रभारी मिथिलेश के अनुसार, अज्ञात किन्नरों के खिलाफ हत्या के प्रयास की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है और गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है।
उद्देश्य हिंसा नहीं, बल्कि न्याय
किन्नरों की मुखिया अक्षिता ने इस घटना पर सफाई देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य हिंसा नहीं था, बल्कि साथी के साथ हुए अन्याय के खिलाफ न्याय की मांग थी। उन्होंने डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ पर FIR दर्ज कराने की बात कही है।