पांच साल पहले जहां केवल 4 मरीज मुख कैंसर मरीज थे, आज 60 जिला अस्पताल के रिकार्ड में हो गए हैं। बाकी अन्य मरीज भी होेंगे, जो जिला अस्पताल में रजिस्टर्ड नहीं है, सीधे बिलासपुर या रायपुर में इलाज करा रहे हैं। इसका एकमात्र कारण तंबाकू का सेवन है, चाहे सिगरेट, गुटखा, गुड़ाखू या अन्य हो। जिले के यह आंकड़ा डरावने वाला है। इसलिए आप सावधान रहें और तत्काल तंबाखू के सेवन से परहेज करें।
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नशा आजकल युवाओं के सिर चढ़कर बोलने लगा है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह आसानी से उपलब्ध हो जा रहा है। खासकर सिगरेट, गुटखा व तंबाकू के सेवन करने में युवा सबसे आगे हैं। युवा वर्ग इसकी गिरत में आकर अपने भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।
जगह-जगह पान दुकान, किराना स्टोर्स व जनरल स्टोर्स में बिक रहे तंबाकू पाउच, सिगरेट व गुड़ाखू का नशा अब लोगों की लत बन गई है। लोग सुबह उठते ही इनका सेवन करना शुरु कर देते हैं। युवाओं में जर्दा गुटखा और सिगरेट का चलन बढ़ा है। तंबाकू का सेवन करने वाले दो में से एक व्यक्ति की मौत कैंसर की वजह से होती है। हमें ऐसे मादक पदार्थों से बचना होगा।
ज्यादा मुख कैंसर के मरीज पहुंच रहे अस्पताल
वर्तमान में माऊथ कैंसर के मरीजों की संया में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसका प्रमुख कारण है कि लोग गुटखा का ज्यादा सेवन कर रहे हैं। आजकल तो स्कूली बच्चों को जानकारी नहीं फिर भी बीड़ी, सिगरेट पीते देखे जा सकते हैं। इसमें अधिकांश युवा वर्ग चपेट में आ रहा है। यह धीमी जहर का काम करता है। पहले से लगातार सबसे ज्यादा मुख कैंसर के मरीजों में बढ़ोतरी हो रही है। बच्चों को तबाखू को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों, फिल्मों या फिर ऐसे जगह जहां लोग इसका सेवन करते है दूर रखें। स्कूल और कॉलेज के आसपास ऐसे पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध में सती लाया जाएं, हेल्थी लाइफ स्टाइल अपनाएं, योगा, प्राणायाम और मॉर्निंग वाक करें, काम के बीच बीच में जो छोटे-छोटे ब्रेक्स होते हैं तंबाखू के सेवन से बचें। मौसमी फल, जूस या घर से लाए हुए टिफिन का इस्तेमाल करें, नशे का सेवन करने वाले फ्रेंड सर्किल से दूर रहें, वरना कब आप इन सब के आदि हो जाएंगे, आपको पता भी नहीं चलेगा।
Cancer Patients in CG: कैंसर के लक्षण
सिगरेेट ज्यादा पीने वालों को कैंसर होने के पहले छाती में दर्द होने लगता है। धीरे-धीरे सांस फूलने की तकलीफ शुरू होती है। खांसी के साथ खून के थक्के जमने लगते हैं। मुख कैंसर वालों के मुंह में पहले छाले होते हैं। जरा भी तीखा खाने पर मुंह जलने लगता है। गले में गठान हो जाती है और इसके साथ ही आवाज में बदलाव हो जाता है।
आगे जाकर खाना-पीना पूरी तरह बंद हो जाता है। आहार नली के कैंसर की शुरुआत खाने में तकलीफ से ही होती है।
बायोप्सी के साथ कीमो की भी सुविधा
कैंसर रोड विशेषज्ञ डॉ. पुष्पेन्द्र पटेल ने बताया कि 2024 -202५ में जिला अस्पताल में ७१५ कीमोथेरेपी दिया गया। वहीं कैंसर ओपीडी 1055 के करीब रही, कुल 1024 कन्फर्ड नए कैंसर केस सामने आए। यहां जिला अस्पताल में जिले के नहीं बल्कि दूसरे जिले के भी मरीज कैंसर की सलाह लेने एवं इलाज के लिए पहुंचे। मुख्य रूप से पाए जाने वाले कैंसर जैसे मुंह का कैंसर, स्तन का कैंसर और गर्भाशय के मुंह के कैंसर का बायोप्सी जांच शुरू किया गया है। इससे पहले मरीजों को बायोप्सी के लिए रायपुर या बिलासपुर जाना पड़ रहा था। साथ ही कीमोथेरेपी की सुविधा होने से जिला अस्पताल में मुंह का कैंसर, स्तन कैंसर, गर्भाशय के मुंह का कैंसर, स्टमक कैंसर, ओवेरियन कैंसर, यूटराइन कैंसर, कोलन कैंसर, फेफड़े का कैंसर, स्किन कैंसर, गले का कैंसर, लिवर का कैंसर, किडनी का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर आदि का इलाज संभव हो पाया है।