आग की जानकारी मिलते ही जिला अस्पताल के सभी वार्ड में भर्ती व परिजन बाहर निकल गए। इसमें कई गंभीर मरीज भी शामिल थे, जिनको परिजन स्ट्रेचर में लेकर बाहर निकले। आग लगने की जानकारी गार्ड ने अस्पताल प्रबंधक और पुलिस को दी। पुलिस व दमकल की टीम ने अस्पताल के पीछे का शटर खोला गया। फिर कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। तब तक करोड़ों का रेकॉर्ड जलकर खाक हो चुका था। इसमें जननी सुरक्षा योजना व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महत्वपूर्ण दस्तावेज जलकर खाक हो गए।
आखिर कैसे लगी आग
आखिर जिला अस्पताल के रिकार्ड रूम में ही आग क्यों लगी। बाकी जगह आग की लपटें पहुंची भी नहीं है। बताया जा रहा है कि शार्ट सर्किट से आग नहीं लगी है। आग लगने में अस्पताल प्रबंधक की भूमिका संदिग्ध लग रहा है। क्योंकि जिला अस्पताल में जेडीएस भर्ती व अस्पताल प्रबंधक पर फर्जीवाड़े की कई शिकायतें हुई है। इसे मिटाने के लिए आग लगाने की चर्चाएं हो रही है। जिला अस्पताल के इलेक्ट्रीशियन का कहना है कि हाल ही में पूरा जिला अस्पताल परिसर में नई वायरिंग की गई और सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम भी किए गए हैं। रिकार्ड रूम में आग लगने के बावजूद न तो अस्पताल परिसर की बिजली गुल हुई और न ही कोई सर्किट कटा। इससे स्पष्ट है कि शार्ट सर्किट तो नहीं है।
सुरक्षा एक्सपायर अग्निशमन यंत्र के भरोसे
जिला अस्पताल में
भीषण आग लग गई। जिला अस्पताल में पखवाड़े भर पहले ही अस्पताल स्टाफ व अन्य को अग्निशमन यंत्र से आग पर काबू पाने प्रशिक्षण दिया गया था। लेकिन अग्निशमन यंत्र की जगह आग पर काबू दमकल से पाया गया। पत्रिका की टीम ने पड़ताल में पाया कि जिला अस्पताल में लगे अग्निशमन यंत्र एक्सपायर हो चुकी है। आग लगने की आकस्मिक घटना में यह काबू नहीं कर सका। क्योंकि यह यंत्र मार्च 2025 में एक्सपायर हो चुका है।
रात में जिला अस्पताल में आग लगने की सूचना मिली। मौके पर दमकल के साथ पहुंचे। आग लगने का कारण शार्ट बताया जा रहा है। फिलहाल जांच के बाद ही मामला स्पष्ट हो पाएगा। – प्रवीण द्विवेदी, थाना प्रभारी जांजगीर