जिले को दो तरफा नुकसान
कम बारिश होने पर जिले की खेती चौपट हो जाती है, क्योंकि बड़े क्षेत्र में बारिश आधारित कृषि होती है। इस स्थिति में सिंचाई के लिए पानी की जरुरत होती है, लेकिन उपलब्धता के अभाव में खेती चौपट होती है। दूसरी तरफ जवाई बांध से आहोर के जवाई कमांड क्षेत्र के 24 गांवों को सिंचाई का पानी नहीं मिलता। दूसरी तरफ भारी बारिश होने पर नदी नाले उफान पर होते हैं और जवाई बांध पूरी भराव क्षमता तक भरने के बाद अचानक से गेट खोले जाते हैं। अचानक से पानी के बहाव से जिले में बाढ़ के हालात बनते हैं। इस स्थिति में भी फसलें चौपट होती है।24 घंटे कार्यरत रहेगा कंट्रोल रूम
विभागीय जानकारी के अनुसार जालोर में 15 जून से बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया। यह कक्ष 30 सितंबर तक कार्यरत रहेगा। बांधों पर निगरानी के लिए जिला मुख्यालय के कंट्रोल रूम पर वायरलेस सेट लगाया गया है। जालोर के अलावा तीन अन्य स्थानों पर भी वायरलेस सेट स्थापित किए गए हैं।इन वर्षों में भारी बारिश के साथ आफत भी बढ़ी
जल संसाधन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 1973, 1975, 1990, 1992, 1994, 2006, 2015, 2016, 2017 और 2023 में भारी बारिश के चलते बाढ़ के हालात बने और रास्ते भी अवरुद्ध हुए। इस वर्षों में क्रमश: 851 मिलीमीटर, 824, 994, 819, 676, 791, 744, 999, 840 और 787 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। बता दें जिले की औसत बारिश 559 मिलीमीटर है।63 साल में ये सर्वाधिक कम बारिश के साल
1961 से 2024 के बीच की अवधि में कई मानसून सीजन ऐसे रहे, जिसमें बारिश नहीं के बराबर ही हुई। विभागीय जानकारी के अनुसार 1968 में 101 मिलीमीटर बारिश ही हुई, जो औसम से काफी कम थी और सूखे के हालात बने। इसी तरह 1969 में 125 एमएम, 1974 में 138, 1980 मेें 181, वर्ष 1987 में 91, 1991 में 154, वर्ष 2002 में 171, 2009 में 189, 2018 में 146 मिलीमीटर बारिश ही हुई, जिससे अकाल के हालात बने।इन्होंने कहा
मानसून सीजन को लेकर 15 जून से नियंत्रण कक्ष स्थापित हो चुका है। संभावित हालातों से निपटने के लिए तैयारियां की गई है, जहां पर भी कमियां है, उन्हें भी दुरुस्त किया जा रहा है।विजेश वालेचा, एक्सईएन, जल संसाधन विभाग, जालोर