मुख्य सचेतक गर्ग ने कहा, कांग्रेस की आदत रही है कि वह हमेशा दूसरों पर आरोप लगाती है और अपनी कमियों को भूल जाती है। उन्होंने बीएसपी विधायकों के गैरकानूनी विलय का उदाहरण देते हुए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। साथ ही कहा, बीएसपी के छह विधायकों का कांग्रेस में विलय पूरी तरह से गैरकानूनी था। इसके बावजूद कांग्रेस ने इस मामले को कोर्ट में घसीटते हुए लंबे समय तक लटकाए रखा और विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने तक कोई निर्णय नहीं होने दिया।
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गर्ग ने कहा, अब वही कांग्रेस जो खुद कई बार नियमों को ताक पर रख चुकी है, विधानसभा अध्यक्ष के वैधानिक निर्णय पर सवाल उठा रही है। यह सौ-सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली जैसी स्थिति है।
‘इस्तीफा देने के नियम क्लियर’
गर्ग ने कहा कि विधायक पद से इस्तीफा देने के नियम स्पष्ट हैं। डाक से भेजा गया या किसी और के माध्यम से भेजा गया इस्तीफा तब तक मान्य नहीं होता, जब तक विधायक खुद स्पीकर को इस्तीफा न सौंपे, लेकिन कांग्रेस के लगभग 90 विधायकों ने स्वयं अपने हाथों से स्पीकर को इस्तीफा सौंपा, फिर भी उस पर सालों तक कोई निर्णय नहीं हुआ।राजस्थान में फिर सुलग सकती है गुर्जर आरक्षण आंदोलन की आग, 8 जून को होगी महापंचायत
जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का फैसला पूरी तरह से नियमानुसार और समय पर लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह एक कानूनी कार्रवाई है और इसमें किसी प्रकार की राजनीतिक दुर्भावना नहीं है। भजनलाल सरकार इस मामले में शुरू से ही गंभीर रही है।
राहुल गांधी पर कही ये बात
वहीं, राहुल गांधी के संसद सदस्यता मामले से तुलना करने पर गर्ग ने कहा कि संसद और विधानसभा में कानून भले ही समान हो, लेकिन दोनों की परंपराएं अलग होती हैं। विधानसभा की परंपरा के अनुसार ही अध्यक्ष ने उचित कदम उठाया है।