कई तरीकों से फांसती है आइएसआइ
सीमावर्ती जैसलमेर जिले में जासूसी के लिए आइएसआइ कई तरीकों से स्थानीय युवाओं को फांसती रही है। इनमें लालच सबसे अहम है। उन्हें पैसों के बदले सूचनाएं देने के लिए तैयार किया जाता है। इसके अलावा यह एजेंसी हनी ट्रेप से लेकर ब्लैकमेलिंग के दूसरे हथकंडों को आजमाने के लिए भी कुख्यात है। वैसे जैसलमेर जिले के विशाल क्षेत्रफल और 300 से अधिक प्रतिबंधित गांवों में निगरानी चुनौतीपूर्ण है। यही कारण है कि नाचना, मोहनगढ़, रामगढ़ जैसे क्षेत्रों में बाहरी लोगों के सत्यापन में सक्रियता की जरूरत है। सुरक्षा चौकियों की कमी से चुनौतियां बढ़ी हैं। सेना के ठिकानों और संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। इसके चलते ही एक के बाद एक जासूसी करने के आरोपी पकड़े जा रहे हैं। जैसलमेर क्यों है निशाने पर
- जैसलमेर जिले में एशिया की सबसे बड़ी फील्ड फायरिंग रेंज है। जहां वर्ष पर्यंत सेना और वायुसेना की तरफ से विभिन्न अभ्यास आदि आयोजित होते हैं।
- रेंज में ही भारत स्वदेश में निर्मित हथियारों और अन्य अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों का परीक्षण भी करता है।
- पाकिस्तान से सटा सरहदी जैसलमेर जिला वीवीआइपी लोगों की पसंद बना हुआ है। इसके अलावा यहां प्रतिवर्ष लाखों की तादाद में सैलानियों की आवक होती है।
- जिले के अनेक ग्रामीण क्षेत्रों की रिश्तेदारियां सीमा के उस पार विशेषकर सक्खर, रहिमयार खान, घोटकी आदि जिलों में है। यहां के बाशिंदे जब वहां जाते हैं, उस समय भी आइएसआइ के एजेंट कई बार उन्हें अपने साथ काम करने के लिए जोड़ लेते हैं।
इस साल चौथी कार्रवाई
जैसलमेर और आसपास के सैन्य इलाकों में बुधवार को संदिग्ध जासूस पकडऩे की इस वर्ष में यह चौथी कार्रवाई है। इससे पहले 26 मार्च को चांधन फील्ड फायरिंग रेंज के करीब करमों की ढाणी निवासी पठान खान को ऑफिशियल सीक्रट एक्ट के तहत पकड़ा गया था। 28 मई को सरकारी कर्मचारी व पूर्व मंत्री शाले मोहम्मद के निजी सहायक रह चुके शकूर खान को राजस्थान इंटेलिजेंस ने दस्तयाब किया। वहीं 4 अगस्त को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज स्थित डीआरडीओ गेस्ट हाउस मैनेजर महेंद्र प्रसाद को गिरफ्तार किया गया था। उस पर पाकिस्तानी हैंडलर को सेना की खुफिया जानकारी भेजने का आरोप है।