नवनिर्माण से बढ़ेगी खूबसूरती
शिव मार्ग से लगते दुर्ग के परकोटे की दीवार के पुनर्निर्माण कार्य को पुरातन शैली में करवाया जा रहा है। भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग की तरफ से करवाए जा रहे इस काम से दरक रही दीवार को जैसलमेरी पत्थरों से नया बनाया जा रहा है। इसके लिए वही तकनीक काम में ली जा रही है, जिससे यह सोनार दुर्ग पूर्व में बनाया गया था। इस कार्य से दीवार को न केवल मजबूती दी जा रही है बल्कि इससे दुर्ग के बाहरी क्षेत्र की खूबसूरती में भी इजाफा होगा। हालांकि इसी दीवार के आगे वाले हिस्से में भी मोटे-मोटे पत्थर अपनी जगह छोड़ रहे हैं। उन्हें भी दुरुस्त करवाना होगा। अन्यथा पूर्व में हुए हादसों की पुनरावृत्ति होने से इनकार नहीं किया जा सकता। विभाग के सूत्रों ने बताया कि टुकड़ों-टुकड़ों में शेष बची दीवार के नवनिर्माण का कार्य भी करवाया जाएगा। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने समय-समय पर दुर्ग के बाहरी हिस्से की इस दीवार की कमजोरी के मुद्दे को लगातार जिम्मेदारों के सामने पुरजोर ढंग से उठाया है। पूर्व में हो चुके हादसे
- दुर्ग के परकोटे की दीवारें दरकने और उनके ध्वस्त होने की कई घटनाएं अब तक सामने आई हैं। इनमें सबसे भयावह घटना 1997 में हुई थी। तब शाम के समय गोपा चौक में आई परकोटे की दीवार एकदम से धराशायी हो गई थी और दीवार में चुने हुए भारी-भारी पत्थरों व मलबे में दब कर 6 जनों की जान गई थी, जिससे कोहराम मच गया था।
- ऐसी ही एक घटना बरसाती सीजन में गोपा चौक से सटी दीवार का एक हिस्सा ध्वस्त होने से हुआ। संयोगवश वह हादसा तडक़े हुआ, तब उसके नीचे कोई नहीं था।
- साल 2016 में भी गोपा चौक पुलिस चौकी के सामने किले की दीवार के पुनर्निर्माण के समय हुआ। दीवार के पत्थर भरभरा कर गिरे थे। उस समय काम कर रहे श्रमिक पहले से सावचेत थे, लिहाजा कोई इसका शिकार नहीं बना।
फैक्ट फाइल
- 868 वर्ष प्राचीन है जैसलमेर दुर्ग
- 99 बुर्ज बने हैं सोनार दुर्ग में
- 400 परिवार लगभग दुर्ग में निवासरत
- 02 वार्डों में विभक्त है सोनार दुर्ग