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जैसलमेर

सीजन ऑफ है तो क्या व्यवस्थाओं की भी छुट्टी ?

यही वजह है कि इस समय को ऑफ सीजन के रूप में जाना जाता है और कहीं न कहीं सरकारी तंत्र भी इसे छुट्टियों के समय में लेता है।

जैसलमेरJun 11, 2025 / 08:29 pm

Deepak Vyas

स्वर्णनगरी में मौजूदा गर्मी का समय सैलानियों के आगमन के लिहाज से ऑफ माना जाता है यानी भीषण गर्मी में पर्यटक नगण्य संख्या में ही आते हैं। यही वजह है कि इस समय को ऑफ सीजन के रूप में जाना जाता है और कहीं न कहीं सरकारी तंत्र भी इसे छुट्टियों के समय में लेता है। यही वजह है कि आमजन से सीधे तौर पर जुड़ी सुविधाओं की सुध भी कम ही ली जा रही है। शहर में साफ-सफाई व्यवस्था, विशेषकर मानसून के मद्देनजर नाली-नालों और सीवरेज मैन हॉल्स व लाइनों का रखरखाव उस स्तर पर नहीं किया जा रहा, जैसा होना चाहिए। जिम्मेदारों की तरफ से व्यवस्थाएं सुचारू करने के दावों की पोल एक तेज बारिश के दौरान खुल जाती है। नालों व नालियों के साथ सीवरेज का निकाला हुआ कचरा, कई-कई दिनों तक वहीं पास में बिखरा मिलता है। कभी कभार रस्मी तौर पर सफाई के लिए श्रमदान करने वाले अधिकारी धरातल पर उतर कर वास्तविक ढंग से काम करते या करवाते शायद ही कभी नजर आते हो। हर कोई, अपने अधीनस्थ को जुबानी निर्देश देने तक सीमित है। इसके आगे बढ़ कर वास्तव में निर्देशों की पालना हुई या नहीं, इसकी जांच करने की जहमत कोई नहीं उठाता। ऐसा लगता है कि, पर्यटननगरी में ऑफ सीजन होने को ये जिम्मेदार मानो व्यवस्थाओं की छुट्टी मान ही बैठे हैं।

थम नहीं रहा जग-बुझ का सिलसिला

जहां तक शहर की रात्रि प्रकाश व्यवस्था का सवाल है, वह बीते कई महीनों से जग-बुझ की समस्या से जूझ रही है। कभी किसी सडक़ या इलाके की रोड लाइट्स पूरी तरह से बंद दिखती है तो कभी वह जल जाती है और दूसरे ही क्षेत्र में ब्लेकआउट का मंजर नजर आता है। मुश्किल से एक साल पहले करोड़ों रुपए खर्च कर शहर के प्रमुख मार्गों पर डिवाइडरों पर जो कलात्मक ढंग की रोड लाइट्स लगाई गई थी, वह भी प्रतिदिन एक समान जलती नजर नहीं आती। जबकि ये लाइटें पूरी तरह से नई लाइन खींच कर लगाई गई थी। शहर के मुख्य मार्गों तक आए दिन रोड लाइटों के बंद रहने की समस्या रहती है तो अंदरूनी हिस्सों व आवासीय कॉलोनियों की दशा समझी जा सकती है। आगामी दिनों में बरसातों का सीजन आएगा, तब इस लाइट व्यवस्था का क्या अंजाम होगा, यह बताने की जरूरत नहीं है।

सडक़ों के घावों पर मरहम कब

शहर के कई हिस्सों में इन दिनों नई सडक़ें या फर्श बिछाने के काम चल रहे हैं लेकिन पहले से बनी सडक़ों की टूट फूट को दुरुस्त करने की तरफ जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है। मरम्मत के अभाव में बरसाती पानी के प्रहार व प्रवाह के कारण ये टूटी हुई सडक़ें, पूरे तौर पर बिखरी नजर आएगी। जबकि अभी समय रहते उनकी संभाल की जाए तो बात बन सकती है। जिन गलियों में पत्थर के फर्श लगे हैं, उनके भी हाल बुरे हैं। पत्थर जगह-जगह से ढीले हो चुके हैं। वे राहगीरों व वाहन चालकों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।

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