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जैसलमेर

राजस्थान के इस कस्बे में धारा 163 लागू, SDM ने जारी किए आदेश; 5 से ज्यादा लोग नहीं हो सकेंगे इकठ्ठा

जैसलमेर जिले के कस्बे में उपखंड अधिकारी गोयल ने धारा 163 लागू करने आदेश जारी किए हैं।

जैसलमेरJul 16, 2025 / 12:30 pm

Lokendra Sainger

जैसलमेर के बासनपीर में छतरी विवाद को लेकर धारा 163 लागू

Photo- Patrika Network (File Photo)

जैसलमेर जिले के बासनपीर जूनी में छतरी विवाद को लेकर प्रशासन ने इलाके में 5 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। उपखंड अधिकारी गोयल ने धारा 163 लागू करने आदेश जारी किए हैं। प्रशासन का मानना है कि इलाके में उत्पन्न तनाव की स्थिति को देखते हुए संभावित कानून एवं शांति व्यवस्था भंग होने की आशंका के चलते सुरक्षा एवं शांति बनाए रखने के लिए प्रशासन द्वारा सतर्क कदम उठाए गए हैं।
कोई भी व्यक्ति बिना पूर्व अनुमति प्राप्त किये लाउडस्पीकर, एम्पलीफायर, ध्वनि प्रसारक यन्त्रों का उपयोग नहीं कर सकेगा। यह आदेश अगले 2 महीने तक जारी रहेगा। ग्राम बासनपीर जूनी की सीमा के भीतर व्यक्ति अपने पास विस्फोटक पदार्थ और किसी भी तरह का हथियार सार्वजनिक स्थलों पर लेकर नहीं घूम सकेगा। आदेश की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

10 जुलाई को हुआ था विवाद

गौरतलब है कि बासनपीर गांव में 10 जुलाई 2025 को ऐतिहासिक छतरियों के पुनर्निर्माण को लेकर दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हो गई। जिसमें पुलिस ने पुलिस ने 20 से अधिक महिलाओं सहित 24 लोगों को गिरफ्तारी किया था। यह विवाद रियासतकालीन वीर योद्धाओं रामचंद्र जी सोढ़ा और हदूद जी पालीवाल की स्मृति में बनी छतरियों के निर्माण कार्य के दौरान भड़का।

क्या है पूरा विवाद?

इस विवाद की शुरुआत 2019 में तब हुई जब इन छतरियों को कुछ लोगों ने तोड़ दिया गया था। इसके विरोध में झुंझार धरोहर बचाओ संघर्ष समिति और हिंदू संगठनों ने आंदोलन किया। जिसके बाद 10 जुलाई को प्रशासन और दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद छतरियों का पुनर्निर्माण फिर से शुरू हुआ। लेकिन, विशेष समुदाय की सैकड़ों महिलाओं और युवाओं ने निर्माण स्थल पर पहुंचकर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इस हमले में कई लोग घायल हो गए । जिससे इलाके में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।

छतरियों का ऐतिहासिक महत्व

बासनपीर गांव में 1835 में तत्कालीन महारावल गज सिंह द्वारा निर्मित छतरियां ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं। ये छतरियां वीर योद्धा रामचंद्र जी सोढ़ा और हदूद जी पालीवाल की स्मृति में बनाई गई थीं। रामचंद्र जी सोढ़ा ने 1828 में जैसलमेर और बीकानेर के बीच हुए बासनपीर युद्ध में जैसलमेर की ओर से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की थी। वहीं, हदूद जी पालीवाल ने गांव में तालाब खुदवाकर सामाजिक योगदान दिया था, जिसके सम्मान में उनकी छतरी बनाई गई थी। ये छतरियां स्थानीय राजपूत समुदाय के लिए गौरव और बलिदान का प्रतीक हैं।

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